भारत अपने गहन सांस्कृतिक, दार्शनिक और पारंपरिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है। एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के नाते, भारतीय हर त्यौहार को पूर्ण धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं। भारत को त्यौहारों की भूमि भी कहा जाता है। भारत में प्रत्येक त्योहार को जश्न के रुप में मनाया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहां आप पूरे साल विभिन्न धर्मों, विभिन्न समुदायों के विभिन्न त्यौहारों का जश्न एक साथ मिलकर मना सकते हैं। यहां साल के प्रत्येक दिन कोई ना कोई त्योहार किसी ना किसी राज्य में मनाया जा रहा होता है। भारत में साल के 365 दिन 12 महीनें त्यौहार मनाए जाते हैं।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, सिंधी, बौद्ध एवं जैन धर्म जैसे अनेकों धर्मों के त्यौहार यहां मनाए जाते हैं। यही कारण है कि भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश के रुप में पहचाना जाता है। भारत के हिन्दू धर्म के अनुसार महीनों के विभिन्न नाम एवं उनका अपना-अपना महत्व है। हमारा देश अपनी विभिन्न परंपराओं और विविध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां मनाए जाने वाले त्यौहार भारत के लोगों के बीच एकता को मजबूत करने के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। प्रत्येक त्यौहार या तो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या राष्ट्रीय महत्व का प्रतिनिधित्व करता है और दुनिया भर के लोग इन त्यौहारों में दिल से भाग लेते हैं।
भारत का प्रत्येक महीना यूं तो अपने आप में बहुत खास होता है। लेकिन जून का महीना जिसे ज्येष्ठ-आषाढ़ का महीना भी माना जाता है यह हिन्दू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है। इस महीने में सूर्य अत्यंत ताक़तवर होता है, इसलिए गर्मी भी ज्यादा होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। इस महीने में धर्म का सम्बन्ध जल से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सक। इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है। जून के महीने में भारतीय परंपरा के कई त्योहार मानाए जाते हैं। इस बार जून के महीने की शुरुआत ही मुस्लिम धर्म के सबसे बड़े त्योहार ईद के साथ हो रही है। ईद यानि ईद-उल-फितर का त्योहार मुस्लिम धर्म के साथ-साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। 30 दिनों के रमजान के रोजे के बाद मुस्लिम धर्म के लोग ईद का त्योहार जश्न के रुप में मनाते हैं। यही नहीं इस महीने में हिन्दू धर्म के भी कई त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें महेश नवमी, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी जैसे कई त्योहार मनाए जाएगें। जून का महीना सिख धर्म के लोगों के लिए भी खास होता है। इस महीने में सिख धर्म के गुरु गुरु अर्जन सिंह देव जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। वहीं जून के महीने में ईसाई धर्म के लोग खासकर गोवा में साओ-जाओ उत्सव का जश्न मनाते हैं। गोवा में 24 जून को साओ जोआओ का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसे सेंट जॉन द बैपिस्ट भी कहते है। वहीं गोवा 18 जून को अपना मेमोरियल डे का उत्सव भी मनाता है।
जून के महीने में कई और भी त्योहार मनाए जाते हैं जिनकी सूची नीचे दी गई है।
संत ज्ञानेश्वर जंयती- 1 जून
महाराष्ट्र के महान ज्ञानी एवं कवी संत ज्ञानेश्वर की जयंती 1 जून को मनाई जाएगी। उनका जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पैठण के पास आपेगांव में सन् 1275 में भाद्रपद के कृष्ण अष्टमी को हुआ था। उनके पिता विट्ठल पंत एवं माता रुक्मिणी बाई थीं। संत ज्ञानेश्वर जयंती पौराणिक उत्तर भारतीय संत ज्ञानेश्वर के सम्मान में मनाई जाती। 1 जून को ही पेरेंट्स डे यानि अभिवावक दिवस भी मनाया जाएगा। यह दिवस माता-पिता के प्रति प्रेम जाहिर करने का शुभ दिन है, इसलिये इस दिन उनकी पूजा करनी चाहिए उनका सम्मान करना चाहिए।
शनिदेव जयंती- 3 जून
कर्मफलदाता भगवान शनिदेव के जन्म को चिन्ह्ति करने के लिए प्रत्येक वर्ष ज्यैष्ठ माह की चतुर्दसी अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। यह हिन्दू धर्म का विशेष पर्व है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि जयंती के दिन ही सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर नवग्रह एवं शनि मंदिर में पूजा की जाती है।
वट सावित्री पूजा- 3 जून
3 जून को वट सावित्री व्रत भी किया जाएगा। जेष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री के पूजन का विधान है। इस दिन महिलाएँ दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन की कामना कर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। वट एक पेड़ होता है जिसकी पूजा करना इस दिन शुभ माना जाता है। वहीं सावित्री पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक पतिव्रता स्त्री थी जिसने यमराज से लड़कर अपने पति के जीवन की रक्षा की थी उसे पुनर्जिवित किया था।
ईद-उल-फितर- 5 जून
रमज़ान का महीना खत्म होने के साथ ही ईद का त्यौहार मनाया जाता है। वैसे तो दान-दक्षिणा जिसे जकात कहा जाता है रोज़े रखने के दौरान भी दी जाती है लेकिन ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटा जाता है जिस कारण ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है। भारत में महिलाएं ईद से पहले हाथों में मेंहदी भी लगवाती है। ईद को शवाल(चंद्र मास) का पहला दिन भी कहते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस- 5 जून
5 जून को पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मानाया जाता है। प्रतिवर्ष जनता को पर्यावरण को संरक्षित करने और प्रदूषण कम करने के फलस्वरुप नए-नए उपाय बताकर इस दिन जागरुक किया जाता है। प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस किसी ना किसी विशेष विषय को ध्यान में रखकर आयोजित किया जाता है।
महाराणा प्रताप जयंती- 6 जून
महाराणा प्रताप एक निडर, बहादूर राजा थे। महाराणा प्रताप का नाम हल्दीघाटी के युद्ध के लिए बहुत याद किया जाता है। जिसमें उन्होंने अपनी थोड़ी सी सेना के साथ अकबर की विशाल सेना को हरा दिया था। महाराणा प्रताप का जन्म वैसे तो 9 मई 1540 को राजस्थान के राजस्मंद जिले के कुम्भलगढ़ में हुआ था, किन्तु हिन्दू पंचाग अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तीज को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा 11 जून
भगीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर आती हैं उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी थी। जिसे आज गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है| स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान,ध्यान तथा दान करना चाहिए| 11 जून को ही महेश नवमी का त्योहार मनाया जाएगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्यैष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। हर साल महेश्वरी समाज महेश्वरी जयंती उत्साह और हर्ष के साथ मनाता है।
निर्जला एकादशी- 13 जून
निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इसे सबसे शुभ एकादशी को माना जाता है। इस एकादशी व्रत में पानी की एक बूंद भी पीना वर्जित होता है। जो पूरे साल एकादशी का व्रत नहीं करता यदि वो सिर्फ निर्जला एकादशी का ही व्रत कर ले तो उसे अन्य सभी एकादशी करने का फल प्राप्त हो जाता है। इसके साथ ही 29 जून को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। योगिनी एकादशी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन होती है। इस दिन भगवान विष्णु का अनुसरण किया जाता है। जून माह में 15 जून को मिथुन संक्राति का त्योहार भी मनाया जाएगा। जिसे खासकर उड़ीसा में बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। उड़ीसा के लोग इसे “राजा संक्रांति” के रूप में मनाते हैं, जो चार दिन का त्यौहार है। जिसमें कई रोचक गतिविधियां शामिल होती हैं।
विश्व रक्तदान दिवस- 14 जून
14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। रक्तदान दिवस उन सभी लोगों का आभार प्रकट करने का भी एक ज़रिया है जो बिना किसी इनाम व लालच के अपने रक्त का दान कर कई जिंदगियों को बचाते हैं। जो जिंदगी के असल मायने में हीरो होते हैं। एक रक्तदाता कई लाख जिंदगियों को बचाने का जरिया बनता है। प्रत्येक वर्ष विश्व रक्तदान दिवस किसी ना किसी विशेष विषय पर आयोजित किया जाता है। जून के महीने में 30 जून को विश्व सैन्य दिवस भी मनाया जाएगा। गुमनाम हीरों और वीरों को सम्मानित करने और उन्हें याद करने के लिए विश्व सेना दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को मनाया जाता है। प्रत्येक देश में सैन्य ताकतों द्वारा दी जाने वाली अमूल्य सेवा के प्रति यह दिवस मनाया जाता है।
संत कबीर दास जयंती-17 जून
संत कबीर दास सिर्फ एक साधु नहीं थे अपितु वो पहले विद्रोही थे जिन्होंने समाज की कुरितियों के खिलाफ आवाज बुलंद की। संत कबीर दास जी का जन्म विक्रम संवत 1455 ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को माना जाता है। कहा जाता है कि कबीर दास जी का जन्म बनारस के मुस्लिम जुलाहा दंपत्ति के घर हुआ था, किन्तुं कुछ लोगों को मानना है कि कबीर जी ने जन्म नहीं लिया था बल्कि वो प्रकट हुए थे इसलिए कबीर जंयती को उनका ‘प्रकट्य दिवस’ मानकर भी मनाया जाता है। वहीं 16 जून को सिखो के पांचवे गुरु गुरु अर्जन सिंह देव जी की पुण्यतिथि मनाई जाएगी। गुरु अर्जन देव जी ने “आदि ग्रंथ” का संकलन किया था।
फादर्स डे- 16 जून
फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व (फादरहुड), पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है। यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मदर्स डे(मातृ-दिवस) का पूरक है।
गोवा मेमोरियल डे- 18 जून
गोवा स्मरणीय दिवस यानि मेमोरियल डे जिसे गोवा क्रांति दिवस भी कहते है, 18 जून को प्रति वर्ष मनाया जाता है। इसके पीछे यह वजह है कि 18 जून 1946 को डॉ. राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तग़लियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया। 18 जून गोवा की आज़ादी की लड़ाई के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। इसके साथ ही गोवा में साओ जोआओ का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसे सेंट जॉन द बैपिस्ट भी कहते है। इस दिन की दावत प्रतिवर्ष 24 जून को दी जाती है। इस दिन गोवा में पुरुष खासकर के युवा लड़के कुओं, तलाबों और नदियों में डाले गए तोहफों को पानी में कूद कर ढूंढने का प्रयास करते है।
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