नवंबर माह के त्योहार

त्योहारों की भूमि भारत में आपका स्वागत है - भारत को विशेष रुप से त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसा देश है जहां आप पूरे साल विभिन्न धर्मों, विभिन्न समुदायों के विभिन्न त्यौहारों का जश्न एक साथ मिलकर मना सकते हैं। यहां साल के प्रत्येक दिन कोई ना कोई त्यौहार किसी ना किसी राज्य में मनाया जा रहा होता है। भारत में साल के 365 दिन 12 महीनें त्यौहार मनाए जाते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, सिंधी, बौद्ध एवं जैन धर्म जैसे अनेकों धर्मों के त्यौहार यहां मनाए जाते हैं। यही कारण है कि भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश के रुप में पहचाना जाता है। भारत में कई धार्मिक, पारंपरिक, समाजिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार मनाए जाते हैं जिनका अपना-अपना महत्व है। यहां के प्रत्येक त्यौहार के पीछे एक विशेष कथा एवं एक कारण छिपा होता जो उसकी महत्वता को प्रदर्शित करता है। यहां के प्रत्येक त्यौहार में गहरा सांस्कृतिक, दार्शनिक और पारंपरिक मूल्य निहित होता है। यह उत्सव, कार्निवल और परंपराओं की भूमि है जहां हर महीने कई त्यौहार, उत्सव एवं दिवस धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं।

भारत के हिन्दू धर्म के अनुसार महीनों के विभिन्न नाम एवं उनका अपना-अपना महत्व है। नवंबर के महीने के रूप में, दुनिया भर के लोग, विशेष रूप से भारत, साल के सबसे शुभ समय के लिए तैयार हो जाता हैं। भारत में नवंबर के महीने को कार्तिक-मार्गशीर्ष का महीना भी कहा जाता है। जो हिन्दू मान्यताओं में सबसे पवित्र महीना होता है। बरसात के मौसम के बाद घरों को लीपना-पोतना, पौधारोपण करना और लक्ष्मी पूजा की तैयारी आरंभ हो जाती है। इस माह में खास तौर पर आंवला नवमी (आंवला पूजन) और देवउठनी एकादशी ,एवं छठ पूजा आदि त्योहारों का काफी महत्व है। इस माह साथ ही कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी के पौधे को सजा कर भगवान शालिग्राम के पूजन के साथ उनका विवाह संपन्न कराया जाता है। कार्तिक में तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इसके साथ ही माह के अंतिम दिन में आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन और कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास की समाप्ति होती है। यही नहीं नवंबर के महीने में कई राजकीय और राष्ट्रीय त्यौहार मनाए जातें हैं। जिनमें कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस, पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती के साथ कई बड़े समारोह आयोजित किए जाते हैं।


राज्योत्सव दिवस - 1 नवंबर

राज्योत्सव दिवस

उत्तर पूर्वी राज्य के अलावा दक्षिण में इस माह में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। नवंबर माह का प्रथम दिन कर्नाटक के लोगों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस होता है। 1956 में इसी दिन उनके राज्य का गठन हुआ था। इस दिन पूरे कर्नाटक में छुट्टी होती है और जगह जगह रंगारंग कार्यक्रम पेश किये जाते हैं। पूरे राज्य में सजावट होती है। ऐसा लगता है मानो सारे त्योहार इकट्ठे ही आ गए हों।


छठ पूजा – 2 से 3 नवबंर

छठ पूजा


नवंबर माह में सबसे पहला पर्व छठ पूजा के रुप में 2 एवं 3 नवंबर को मनाया जाएगा। पूर्वी भारत के राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िसा के आसपास के राज्यों के साथ बिहार और उत्तर प्रदेश में भव्य छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। जो साल भर का बहु प्रतीक्षित त्यौहार होता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में भगवान सूर्य की महत्वता को प्रदर्शित किया जाता है। गंगा, यमुना एवं अन्य नदी जल घाटों के किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र होती है। छठ पूजा का व्रत करने वाली व्रती पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की अराधना कर उन्हें अर्ध्य देती है। जो भगवान सूर्य के प्रति अभार व्यक्त करने का एक उत्तम जरिया है।

जगद्धात्री पूजा - 3 से 7 नवंबर

जगद्धात्री पूजा


जगद्धात्री पूजा का नवरात्रि पूजा की तरह विशेष स्थान है। ये पूजा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में खासकर की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दुर्गा माता इस दिन धरती पर फिर से जगत की धात्री के तौर पर आती हैं। ये पूजा बंगाल के हुगली जिले में ज्यादा मनाई जाती है। इस पर्व के दौरान कई मेले लगते हैं।

पुष्कर मेला - 4 से 12 नवंबर

पुष्कर मेला


नवंबर माह में कई मेले और उत्सवों का भी आयोजन किया जाता है। जिनमें राजस्थान में प्रमुख मेले ला जैसे अजमेर में पुष्कर मेला, शामलाजी मेला, बुंदी उत्सव और चंद्रभागा मेला, प्रमुख है जिसमें राजस्थान की पंरपरा और रीति-रिवाजों की झलक देखने को मिलती है। राजस्थानी महिलाओं और पुरुषों की रंगीन पोशाकें इन मेलों में चार चांद लेगा देती हैं। इन मेलों के अनुष्ठान की जगह हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध दादरी मेला, और झारखंड का कुंडरी मेला भी इन राज्यों के शानदार सांस्कृतिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।

आवंला नवमी – 5 नवंबर

आवंला नवमी

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष को आंवला नवमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं आंवले के वृक्ष की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इस दिन की पूजा का फल कई जन्मों तक मिलता है और जो भी बुरी शक्तियां आपके पीछे पड़ी हुई होती हैं वो भाग जाती हैं। इसके साथ ही 7 नवंबर को कंस वध मेला का आयोजन किया जाएगा। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मथुरा में कंस मेला लगता है। इस मेले में भगवान श्राकृष्ण के कंस को मारने के दृश्य को दोहराया जाता है। इस दिन सब लोग पारंपरिक परिधान डालते हैं।

देव उठनी एकादशी – 8 नवंबर

देव उठनी एकादशी


देव उठनी एकादशी का बहुत महत्व है। जैसा की नाम ही बताता है(देव+उठनी) कि इसका संबंध देवी देवताओं के उठने से है। दरअसल भगवान विष्णु समेत अन्य देवी देवता चार महीने के लिये सो जाते हैं और इस एकादशी के दिन वो वापस जागते हैं। देव उठनी होने के बाद मुहुर्त खुल जाते हैं और शादी, विवाह, मुंडन समेत अन्य शुभ कार्य शुरू किये जाते हैं। इसके अलावा 9 नवंबर को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तुलसी के पौधे की शालीग्राम (पत्थर) से शादी की जाती है। ये शादी भी अन्य शादियों की तरह मनाई जाती है। नए नए कपड़े डाले जाते हैं, मंडप सजता है, फेरे होते हैं और दावत भी दी जाती है।

मिलाद-उन-नबी - 9 से 10 नवंबर

मिलाद-उन-नबी


मिलाद-उन-नबी, इस्लाम के मानने वालो के लिए सबसे पाक़ त्योहार माना जाता है| मिलाद-उन-नबी का अर्थ दरअसल इस्लाम के प्रमुख हज़रत मोहम्मद के जन्म का दिन होता है | मिलाद शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौलिद शब्द से हुई है| मौलिद शब्द का अर्थ जन्म होता है और नबी हज़रत मोहम्मद को कहा जाता है | इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मिलाद-उन-नबी का त्योहार 12 रबी अल-अव्वल के तीसरे महीने में आता है |

कार्तिक पूर्णिमा – 12 नवंबर

कार्तिक पूर्णिमा


कार्तिक पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस को मारा था, जिसके बाद उनको त्रिपुरारी कह कर भी पूजा जाने लगा। त्रिपुरासुर ने तीनो लोकों में आतंक मचाया हुआ था, उसके मरने पर सभी देवताओं ने रोशनी जलाकर खुशियां मनाईं। उसी के मद्देनज़र इसे देव दिवाली भी कहा जाता है। वहीं कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसके साथ ही 12 नवंबर को बालियात्रा का त्योहार मनाया जाता है। बालियात्रा पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा को मुख्यतःओड़ीसा में ही मनाया जाता है| नवबंर माह में ही बड़ा ओशा का पर्व भी मनाया जाएगा।

गुरु नानक जयंती - 12 नवंबर

गुरु नानक जयंती


नवंबर सिख समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण महीना होता है। वे इस महीने में अपने प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव मनाते हैं। जिसे गुरु जयंती या गुरु नानक जयंती का नाम से भी जाना जाता है।


बाल दिवस - 14 नवंबर

बाल दिवस


नवंबर का महीना बच्चों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती का प्रतीक होता है, जिसे दुनिया भर में बाल दिवस यानि चिल्ड्रेन डे के रूप में मनाया जाता है। 14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी का भी जन्मदिन होता है। जवाहर लाल जी का जन्म 1889 को हुआ था। जवाहर जी को बच्चों से बहुत लगाव था, बच्चे भी उन्हें “चाचा नेहरू” कह कर पुकारते थे। इसी के चलते भारत में बाल दिवस चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर मनाने का फैसला किया गया। इस दिन बच्चे कई तरह की गतिविधियां कर इस दिन का जश्न मनाते हैं।


कल्पथी रथोलस्वम - 14 से 16 नवंबर

कल्पथी रथोलस्वम


केरल के लोग नवंबर माह में कई महत्वपूर्ण दिवस मनाएगें। केरल के प्रसिद्ध त्यौहार के रुप में कल्पथी रथोलस्वम जिसे कल्पथी रथ उत्सव भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो कि केरल के कल्पथी गांव में मनाया जाता है। ये त्योहार शिव भगवान और मां लक्ष्मी के लिये समर्पित है, जो कि श्री विसाल्क्षी स्मेथा श्री विश्वनाथ स्वामी मंदिर से शुरू होता है। यह रथ त्यौहार है।

काल भैरव जयंती – 19 नवंबर

काल भैरव जयंती


काल भैरव अष्टमी या जयंती कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की आठवीं को आती है। हिंदू मान्यता के मुताबिक भैरों बाबा शिव के ही रुप हैं और उनकी उत्पत्ति शिव के खून से हुई है। शिव के खून के दो भाग हुए, पहले से बटुक भैरव और दूसरे से काल भैरव उत्पन्न हुए। इसके उपलक्ष्य में काल भैरव जयंती मनाई जाती है। 22 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाएगा। उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के माह में आती है, किंतु आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक के कैलेंडर के अनुसार यह कार्तिक माह में मनाई जाती है और तमिल कैलेंडर के अनुसार यहीं माह ऐप्पसि कहां जाता है| वहीँ मलयाली कैलेंडर में इसे थुलाम कहां जाता है,जिसमे भगवान विष्णु और एकादशी माता की आराधना की जाती है|

सेंग कूट स्नेम उत्सव – 23 नवंबर

सेंग कूट स्नेम उत्सव


मेघालय मे निवास करने वाली कई तरह की जनजातियों मे "खासी जनजाति" बाकी सभी जनजातियों मे सबसे वृहद है,जिसकी स्वयं की पहचान,संस्कृति और धार्मिक मान्यताऐं है| खासी जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला "सेंग कूट स्नेम" नाम का उत्सव हर वर्ष नवंबर माह मे मेघालय की राजधानी शिलॉंग मे मनाया जाता है| इस वर्ष यह 23 नवंबर को मनाया जाएगा

नवंबर माह के इन त्योहारों का जश्न मनाते रहिए।

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