आदिवासियों की भूमि के नाम से जाना जाने वाला मेघालय,अपने हृदयस्थल मे पाई जाने वाली जनजातियों के प्रवास के लिए मशहूर है| कई तरह की जनजातियों के समूह का गढ़ होने की वजह से यहां अलग-अलग रीति-रिवाज़ और परम्परायें एक साथ व्याप्त है| मेघालय में मनायें जाने वाले कई तरह के उत्सव और त्योहार धार्मिक होने के साथ-साथ अध्यात्मिक भावनाएें भी साथ लिए होते है|

मेघालय मे निवास करने वाली कई तरह की जनजातियों मे "खासी जनजाति" बाकी सभी जनजातियों मे सबसे वृहद है,जिसकी स्वयं की पहचान,संस्कृति और धार्मिक मान्यताएें है| खासी जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला
"सेंग कूट स्नेम" नाम का उत्सव हर वर्ष नवंबर माह मे
मेघालय की राजधानी शिलॉंग मे मनाया जाता है| भारत मे पाएें जाने वालें हर तरह के धर्म और संस्कृति की अपनी पहचान और परंपराओं को बनायें रखने की सोच के साथ "सेंग कूट स्नेम उत्सव" केवल खासी जनजाति द्वारा ही मनाया जाता है|
खासी समूह द्वारा मनाया जाने वाले इस उत्सव का उद्देश्य यह होता है कि सभी लोग इसके माध्यम से नृत्य,संगीत जैसी विधाओं मे शामिल होकर उसका आनंद उठायें| इस उत्सव के दौरान खासी जनजाति के लोगों द्वारा वाद्ययंत्रों से कई तरह की धून निकाली जाती है,जो पूरे वातावरण को नयी उमंगों से सराबोर कर देती है| ऐसे ख़ुशनुमा माहौल मे बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष हर उम्र के लोग एक साथ शामिल होकर उत्सव मनाते है और बहुत सी ख़ूबसूरत स्मृतियाँ संजोते है|
इस वर्ष "सेंग कूट स्नेम उत्सव" नवंबर मे मनाया जाएगा | |
पहले केवल धार्मिक मान्यताओं के कारण मनाया जाने वाला "सेंग कूट स्नेम" उत्सव,अब धीरे-धीरे पूरे शिलॉंग मे प्रसिद्धि पाकर ना सिर्फ़ शिलॉंग बल्कि वहाँ आने वाले सैलानियों के भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है| इस वर्ष भी "सेंग कूट स्नेम उत्सव" नवंबर मे मनाया जाएगा |
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