ओड़ीसा एक ऐसा राज्य है, जिसमे निवास करने वाले लोग अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े हर तरह के त्योहार और उत्सव पूरे उल्लास के साथ मनाते है | महोत्सवों और त्योहारों की सूची में ऐसा ही एक उत्सव जिसे ओड़ीसा में बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता है,जिसे "अग्नि उत्सव" कहा जाता है| ओड़ीसा में यह उत्सव हर वर्ष जनवरी माह के मध्य से शुरू होकर फरवरी माह के मध्य तक मनाया जाता है |
अग्नि उत्सव

अग्नि उत्सव का महत्व

ओड़ीसा में मनाए जाने वाले अग्नि उत्सव के मौके पर ओड़ीसा राज्य के लगभग हर शहर की विभिन्न सड़क एवम् गलियों को उस इलाक़े में रहने वालें लोग उत्सव से पहले अच्छे से साफ करते है| अपने आस-पड़ोस की सफाई करने के साथ हर कोई अपने घर की भी साफ-सफाई करता है| इसके बाद हर कोई अपने घर से घास और भूंसे के तिनके एक जगह इकट्ठा करते है| इस उत्सव में अग्नि के देवता माने जाने वालें भगवान सूर्य की पूजा मुख्य रूप से की जाती है| इस पूजा का को मुख्यतः किसान वर्ग के लोग अधिक करते है जिसके पीछे यह आस्था होती है कि सूरज से आने वाली गर्मी उनकी फसलों को कोई नुकसान ना पहुचायें और उनका कृषि कार्य बिना किसी बाधा के चलता रहें| इस पूजा के लिए भूसें और घास के अलावा सुखी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है | लकड़ी को सजाकर पूजा- अर्चना किए जाने के बाद उसमें आग लगाई जाती है| ऐसा माना जाता है कि ऐसे में गर्मी का प्रकोप अधिक न हो और सूर्य भगवान अधिक से अधिक घर को न जलाएं इसे लेकर यह अग्नि उत्सव राज्य के विभिन्न जगहों पर मनाया जाता है। इकट्ठा की गयी लकड़ी, घास और भूसें के ढेर के जलने के बाद सभी लोग वहाँ एकत्रित होकर आग तापते है और लोक गीत एवम् नृत्य के साथ उत्सव का आनंद लेते है| इस तरह सूर्य देव जिन्हें अग्नि का देवता कहा जाता है उनकी पूजा-अर्चना करके अगले वर्ष की फसल की अच्छी पैदावार की कामना की जाती है |

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