आतंकवाद आज सम्पूर्ण विश्वव की सबसे बडी समस्या बन गया है आज विश्व का ऐसा कोई देश नहीं है जो आतंकवाद से अछूता हो। आतंकवाद के दानव ने आज पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है। इससे निपटने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश प्रयासरत है और इसको जड़ से खत्म करने के लिए दिनों दिन प्रयास करते रहते है इस आतंकवाद का विरोध करने एंव इसे समाप्त करने के लिए आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। भारत में आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने के पीछे तथ्य है कि इसी दिन भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की मृत्यु वर्षगांठ होती है जिनकी मृत्यु आतंकवाद के कारण ही हुई। आतंकवादियों ने जिंदा मानव बम के जरिए उनकी हत्या करा दी तभी से राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई को पूरे देश में आतंकवाद दिवस के रूप में मनाया जाता है । 21 मई 1991 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में हत्या कर दी गई थी। उस वक्त राजीव गांधी चुनाव प्रचार के सिलसिले में श्रीपेरुंबुदूर गए हुए थे। वे वहां एक आमसभा को संबोधित करने जा ही रहे थे कि उनका स्वागत करने के लिए रास्ते में बहुत सारे प्रशंसक उन्हें फूलों की माला पहना रहे थे। इसी मौके का उठाते हुए लिट्टे के आतंकवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। हमलावर धनु ने माला पहनाने के बहाने एक आत्मघाती विस्फोट को अंजाम दिया था जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी। राजीव गांधी बलिदान दिवस को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन स्वर्गीय राजीव गांधी के सम्मान में और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए के तौर पर भी मनाया जाता है।। आतंकवाद, मानव जाति के खिलाफ मानव जाति द्वारा किया गया सबसे जघन्य अपराध है। आज भारतीयों के लिए सबसे बड़ा डर आंतकवाद बन गया है और निश्चित रूप से देश का हर नागरिक भय के इस प्रेत को चलाने के लिए ज़िम्मेदार है। आज इस अपराध के खिलाफ लड़ना हर भारतीय का नैतिक कर्तव्य बन गया है। इसी उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है।

आतंकवाद का कारण
आज देखा तो समाज का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां आतंकवाद ने अपनी जड़े ना जमाई हो। बढ़ती बेरोजगारी, हिंसा, धर्म के नाम पर लड़ना, पैसा, ताकत इत्यादि कितनी ही बातों को लेकर आतंकवाद को बढ़ाया जाता है। खासकर युवाओं के मन-मस्तिष्क में सरकार, समाज के खिलाफ जहर घोला जाता है। सिस्टम से टकराने के उद्देश्य से लोग आंतकवाद का रास्ता अपना लेते हैं। उन्हें लगता है कि वो जो कर रहे है वो सही है। उनके इसी लालच और दुनिया में अपनी दहशत फैलाने की लालसा मे आतंकवाद के जरिए कितने ही मासूम लोग रोज इनका शिकार हो जाते हैं। उनके घर-परिवार को रोज यह डर साताता रहता है कि यदि कोई व्यक्ति घर के बाहर जा रहा है तो वापस वो जिंदा आएगी भी या नहीं। आतंकवाद के खौफ में आज बच्चा-बच्चा तक जीने को मजूबर है। देश में आए दिन कोई ना कोई बम विस्फोट, आत्मघाती हमला, बंदूक, गोलीबारी जैसी घटनाएं होती ही रहती है। आतंकवाद इस कदर बढ़ गया है कि कश्मीर घाटी में ऐसा कोई दिन नहीं होता जब कोई ना कोई सिपाही शहीद ना होता हो। रोजाना गोलीबारी से कश्मीर के लोगों का जीना दुभर हो गया है और इन सबके पीछे हाथ आंतकवाद का है। आतंकवादी कई घटनाएं भारत के साथ पूरे विश्व में हुई है जिसने मानवता की नींव को हिला कर रख दिया था। फिर वो चाहे 2005 में दिल्ली में हुए एक साथ तीन बम विस्फोट हो या 1993 में हुआ मुंबई ब्लास्ट कांड, हाल ही में 2016 में पाकिस्तान में छोटे-छोटे बच्चों के मदरसे में बम विस्फोट किया गया जिसमें नाजाने कितने ही मासूमों की मौत हो गई। सीरिया में बढ़ता आईएसआई का आंतक हो या मुंबई के होटल ताज पर आतंकवादी आंतक, वर्ष 2002 में अमेरिका के उपर हुए आतंकवादी से तो पूरा विश्व जानकार है। इन आतंकवादी घटनाओं में हमेशा जान एक निर्दोष की ही जाती है। आंतकवाद आज एक ऐसा हौआ बन गया है जिससे हर कोई खौफ खाता है। इसी आतंकवाद के खौफ को खत्म करने के लिए आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है।
आतंकवाद विरोधी दिवस का उद्देश्य
आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों, आतंकवाद के कारण आम जनता को हो रही परेशानियों, आतंकी हिंसा से दूर रखना है। आतंकवाद विरोधी दिवस आतंकवाद के उन सौदागरों के मुंह पर तमाचा है जो यह समझते हैं कि आंतक फैलाने से वो मानवता को हरा देंगे। आज के समय में आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने की अत्यंत आवश्यकता है। आज आतंकवाद का खात्मा करना बहुत जरुरी है। लोगों के मन से आतंकवाद का भय मिटाने के लिए उन्हें इसके प्रति जागरुक करने की आवश्यकता है। तभी तो आज आतंक चाहे कितना भी पनप रहा हो लेकिन वो मानव हौसलों के आगे आज भी पस्त है। आतंकवादियों के लाख आंतक फैलाने के बाद भी आम जनता जीना नहीं छोड़ती। वो फिर वहीं कार्य करती है जो पहले से करती आ रही है। आतंकवादियों के लिए इससे बढ़कर शर्म की बात और कोई नहीं हो सकती कि आज आतंकवाद के खिलाफ पूरा विश्व एकजुट है। आंतकवाद से लड़ने का यही एकमात्र रास्ता है कि हम अपने दिलों से आतंकवाद के खौफ को मिटा दें। आज युवाओं को सही शिक्षा देकर अच्छे और बुरे में फर्क करना समझाना अति आवश्यक है क्योंकि आंतकवादी सर्वप्रथम युवाओं को ही अपना निशाना बनाते हैं। आज युवा शक्ति में वो ताकत है जो आंतकवाद को घुटने टेकने पर मजूबर कर सकती है। जिसके लिए आतंकवाद विरोधी दिवस से बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता।
आतंकवाद विरोधी दिवस कार्यक्रम
आतंकवाद के शैतान को रोकने के लिए आतंकवाद विरोधी दिवस पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, संगोष्ठी, सेमीनार और व्याख्यान आदि का आयोजन किया जाता है। साथ ही इस दिन पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में और राजीव गांधी को याद रखने तथा दुनिया के साथ एकजुटता को चिह्नित करने के लिए दो मिनट का मौन रख शोक व्यतीत किया जाता है। 21 मई को देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए हर साल आतंकवाद दिवस मनाया जाता है। देश भर में विभिन्न समितियां आतंकवाद के इस अमानवीय कृत्य के कारण खतरे के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान पर विभिन्न सेमिनार आयोजित करती हैं। आतंकवाद दिवस को देखने का मुख्य उद्देश्य भारतीय युवाओं को मानवीय जीवन को धमकी देने वाली ऐसी भयानक ताकतों से दूर करना है। इस दिन पर सभी सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में भी आतंकवाद विरोधी या हिंसा विरोधी प्रतिज्ञा भी ली जाती है। लोगों को समाचार पत्रों, रेडियो, टेलिविजनों के जरिए आतंकवाद से लड़ने के गुण सिखाए जाते है। इस दिन पर आंतकवदा को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है ताकि वो स्वंय आतंकवाद से सामना करने एवं इसे हराने के लिए सदैव तत्पर रहें। इस दिन स्कूल, कॉलेज एवं अन्य सभी संस्थानों में लोग प्रण लेते हैं कि वो आतंकवाद को डटकर सामना करेंगे और इसे मुंह तोड़ जवाब देंगें।