जिस महीने में पूरा केरल ओणम के रंग में सराबोर होता है उसी महीने में एक और चीज होती है जो अपनी छटा बिखेरती है। अर्णामुला जिले में खेल स्पर्धा होती है जिसमें कि नौका दौड़ सबसे अहम होती है। लोग दूर दूर से इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिये पहुंचते हैं। लंबी सी नौका पर सैंकड़ो लोग सवार होकर जब चप्पू से पानी को पीछे मारते हैं तो यूं लगता है मानो आप दूसरी दुनिया में आ गए हैं, जहां चारों तरफ हरियाली है और पानी के बीच कई सौ साल पहले की तरह सब खेल हो रहे हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोगों की जिंदगी मोबाइल तक ही सिमित रह गई है, उसमें यूं लोगों को पारंपरिक परिधानों में नौकाओं पर दौड़ लगाते देखना अपने आप में बहुत ही रोमांचित कर देने वाला होता है।
यह बोट रेस अपनी लंबी परंपरा और भव्यता के लिए जानी जाती है। यह रेस कम और पारंपरिक रस्म ज्यादा है।
कैसे हुई ये शुरू?
कई सौ साल पहले एक ब्राह्मण था, उसने अर्णामुला पार्थसारथी मंदिर में थिरुवोणम पर होने वाले पारंपरिक भोजन के लिए अपना सबकुछ देने का ऐलान कर दिया। इस भेंट के साथ लदी नाव पर कुछ लोगों ने हमला बोल दिया। आसपास के लोगों को जब इसका पता चला तो उन्होने बचाव में अपनी सर्प नौकाएं भेजीं। तभी से भागवान पार्थसारथी को सर्प नौकाओं की दौड़ के रूप में भेंट भेजने की रस्म शुरू हो गई।कैसे पहुंचें अराणमुला बोट रेस स्थल
अर्णामुला केरल की राजधानी से ज्यादा दूर नहीं है। तिरुवनन्तपुरम तक प्लेन में आकर आगे आप सड़क मार्ग से अर्णामुला पहुंच सकते हैं। ये तिरुवनन्तपुरम से 128 किलो मीटर दूर है।To read this article in English click here