इस दुनिया में हर एक चीज किसी ना किसी तरह दूसरे से जुड़ी है। जो कुछ भी बनाया गया है वो इंसान ने खुद को जिंदा रखने के लिये बनाया है। बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, घर, छाता, कार, पेचकस, बिजली का बल्ब, ये सब कुछ हमारी जिंदगी को सुगम बनाते हैं। आज के दौर में हम इन पर इतने ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि शायद इनके बिना जिंदा रहना मुश्किल है। जरा सोचिये, कि अगर दो दिन के लिये पूरी दुनिया से बिजली गायब हो जाती है तो क्या होगा? ना तो कम्प्यूटर चल पाएंगे, इंटरनेट ठप्प हो जाएगा, सेंसेक्स, मार्किट सब बंद, ऑफिस बंद, हवाई जहाज बंद, अस्पताल बंद, दवा फैक्ट्रियां बंद एक ही झटके में सब कुछ खत्म हो जाएगा। इन्हीं उपकरणों और यंत्रों को सम्मान देने के लिये “आयुध पूजा” की जाती है।
इस दिन हम उन सब उपकरणों की पूजा करते हैं जिनकी वजह से हम कमा रहे हैं और हमारे घर चल रहे हैं। कहा जाता है कि हम जो कुछ भी मन में सोचते हैं, वही करते हैं। टेस्ला ने बिजली बनाने का सोचा और बनाई, एडिसन ने बल्ब बनाने का सोचा और बनाया, ऐसे ही हर सोच से कोई ना कोई उपकरण बना है। सोच मन से आती है और मन में भगवान रहता है। इसलिये ये सारी रचना भगवान ने ही कराई है। इन उपकरणों की पूजा, भगवान की पूजा के बराबर है। यूं तो आयुध पूजा पूरे देश में होती है, लेकिन तमिलनाडु में इस विशेष तौर पर मनाया जाता है।
आयुध पूजा
इस दिन अपने उपकरणों को साफ करके(अगर हल्के हैं तो उचित स्थान पर रखें) उन पर टीका लगाया जाता है। धूप और दीप जला कर थोड़े फूल अर्पित किये जाते हैं। मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां पार्वती का ध्यान किया जाता है। मिष्ठान प्रसाद चढ़ाकर बांटा जाता है।
कौन से उपकरणों और यंत्रों की होती है पूजा?
सैनिकों की बंदूकों से लेकर, ऑटो, कार, पिओनो, पम्प, जिम का सामान, कुछ भी ऐसा यंत्र जिसकी वजह से आप कमा रहे हो, उसकी इस दिन पूजा होती है।
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