भाद्रपद का महीना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। जब पूरा गुजरात माता अंबाजी के जयकारे लगाता है तो उसी बीच पूर्णिमा के दिन भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन सत्यनारायण भगवान जी की पूजा अर्चना होती है, व्रत किया जाता है और प्रसाद चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि जिसने भी ये पूजा कर ली उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में धन धान्य आता है और मान सम्मान बढ़ता है।

भाद्रपद पूर्णिमा पूजा

-सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें
-पूजा स्थल की सफाई कर के उसमें प्रतिमा रखें
- सत्यनारायण की पूजा के लिये पंचामृत तैयर करें
- गेहूं के आटे और चीनी से चूरमा का प्रसाद बनाएं
- पूरे विधी विधान से सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें
- माता लक्ष्मी, शिव, ब्रह्मा की आरती करें
- सबको प्रसाद बांटें

पूर्णिमा व्रत का महत्व

कहते हैं इस व्रत के दौरान सभी शुभ कार्य करने चाहिए और सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए। जमीन पर शैय्या होनी चाहिए और गरीबों को दान देना चाहिए। घर पर आए किसी भी जानवर या पक्षी को दुतकारना नहीं चाहिए।

अंबाजी  मेला

इन्ही दिनों गुजरात में माता अंबाजी के मेले की भी धूम रहती है। दूर दूर से श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं। माता अंबाजी के मंदिर के बारे में मान्यता है कि माता सती का यहां पर दिल गिरा था।


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November (Kartik / Marghsheesh)