भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के बनासकांठा में लगने वाला भाद्रपद अंबाजी मेला एक बहुसांस्कृतिक मेला है जहां न केवल हिंदू बल्कि सभी धर्मों के लोग सक्रिय रुप भाह लेते हैं। यह मेला मां अंबा जो नारी शक्ति का प्रतिक है उन्का प्रतिनिधित्व करता है। यह मेला मेला भारत के सबसे प्राचीन और सम्मानित मंदिर में से एक अंबाजी मंदिर में आयोजित किया जाता है। भाद्रपद के महीने के रूप में विशेष रूप से किसानों के बीच मेला अत्यधिक महत्व रखता है, यह मेला किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके लिए व्यस्त मॉनसून सीजन के अंत का प्रतीक है। इस समय मॉनसून की फसल उगती इसलिए उसके अच्छा उगने के लिए किसान मां से प्रार्थना करते हैं। अम्बाजी प्राचीन भारत का सबसे पुराना और पवित्र तीर्थ स्थान है। ये शक्ति की देवी सती को समर्पित बावन शक्तिपीठों में से एक है। गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की दांता तालुका में स्थित गब्बर पहाड़ियों के ऊपर अम्बाजी माता स्थापित हैं। अम्बाजी में दुनियाभर से पर्यटक आकर्षित होकर आते हैं, खासतौर से भाद्रपद पूर्णिमा और दिवाली पर। यह स्थान अरावली पहाड़ियों के घने जंगलों से घिरा है। यह स्थान पर्यटकों के लिये भी प्रकृतिक सुन्दरता और आध्यात्म का संगम है। अम्बाजी और इसके आस-पास के पर्यटक स्थल गब्बर पहाड़ियों पर कैलाश हिल सूर्यास्त बिन्दु जैसे स्थान हैं जहाँ से पर्यटक न केवल प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द ले सकते हैं बल्कि रोपवे पर भी घूम सकते हैं। गब्बर पहाड़ियों पर कुछ और धार्मिक स्थल हैं जहाँ तीर्थयात्री अक्सर जाते हैं। मुख्य मन्दिर के पीछे मान सरोवर नाम का एक कुण्ड है। पवित्र कुण्ड के दोनों ओर दो मन्दिर स्थित है। हाल के वर्षों में, अंबाजी मेला पूरे भारत और विदेशों में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने में बहुत लोकप्रिय हो गया है। पवित्र मंत्रों, दुकानों, अनुष्ठानों, विशेष पूजा और मंदिर के अंदर आयोजित अन्य विभिन्न समारोहों आयोजन किया जाता है। अगस्त-सितंबर के महीने में लगने वाले इस मेले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मेले में गुजरात का प्रसिद्ध गरबा नृत्य किया जाता है कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दर्शकों और श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भोजन एवं गीत-संगीत के कार्यक्रम किए जाते हैं। इस मेले में शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। मां अंबा का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ इस समय उमड़ पड़ती है।

भाद्रपद अंबाजी मेला

अंबाजी मेले का इतिहास

गुजरात का विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर देश के इक्यावन शक्तिपीठों में अग्रगण्य है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में देवी सती का हृदय गिरा था। इसका उल्लेख ‘तंत्र-चूड़ामणि’ ग्रंथ में भी मिलता है। सामान्य मंदिरों के विपरीत इस मंदिर गर्भगृह में देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। इस मंदिर में देवी की प्रतिमा के स्थान पर हिन्दुओं के पवित्र श्रीयंत्र का पूजन होता है। इस यंत्र को भी श्रद्धालु प्रत्यक्ष तौर पर सीधी आंखों से नहीं देख सकते हैं। यहां इसका फोटो खींचना भी वर्जित है। यहां के पुजारी इस श्रीयंत्र का श्रृंगार इतना अद्भुत ढंग से करते हैं कि श्रद्धालुओं को प्रतीत होता है कि मां अंबाजी यहां साक्षात विराजमान हैं। इसके समीप ही पवित्र अखण्ड ज्योति जलती है, जिसके बारे में कहते हैं कि यह कभी नहीं बुझी। यहां आज भी एक पत्थर पर मां के पदचिह्न और रथचिह्न के निशान मिलते हैं। इस मंदिर के विषय में प्रचलित मान्यता है है कि यहीं पर भगवान् श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था। लोग यह मानते हैं कि भगवान राम भी शक्ति-उपासना के लिए यहां आए थे। यहां हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा को एक विशाल मेला लगता है। नवरात्र के मौके पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए इकट्ठे होते हैं। इस मौके पर यहां मंदिर के प्रांगण में गरबा और भवई नृत्य करके देवी शक्ति की आराधना की जाती है। 

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