हर त्योहार के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथा जुड़ी होती है। भाई दूज के पीछे भी दो प्रमुख कथाएं प्रचलित हैं। दोनो में ही बहन के भाई के प्रति प्यार को दर्शाया गया है। इसी प्यार के सम्मान मे अब हर साल दिवाली के बाद बहनें भाई को तिलकर लगाकर अच्छे भविष्य की कामना करती हैं।
यमराज और यमुना
कहा जाता है कि यमराज और यमुना दोनो सगे भाई बहन थे, लेकिन यमराज, जो कि लोगों के प्राण हरते थे वो इतने व्यस्त रहते थे कि बहन यमुना से मिले हुए कई साल हो गए। यमुना ने कई बार उनको घर बुलाया, लेकिन वो नहीं आ पाए। एक दिन यमराज को वचनवद्ध यमुना के पास जाना पड़ा। यमराज भाई को आता देख यमुना बहुत खुश हो गई और उनके आने पर उन्हें आदर सत्कार से बैठाया, पूजा की, भोजन कराया। इस सब से यमराज बहुत खुश हुए और यमुना को कहा कि मांगो, जो वर वो चाहती हों। यमुना ने कहा कि मैं चाहती हूं कि जैसे आज आप मेरे घर आए हो, ऐसे ही इस दिन कोई भी भाई बहन के घर जाएगा और बहन उसको टीका लगाकर सत्कार करेगी, तो उसे मौत(यमराज) का डर नहीं रहेगा और उम्र बढ़ेगी। यमराज ने तथास्तु कहा और तब से ये रीत चली आ रही है
श्रीकृष्ण और सुभद्रा
कहा जाता है कि एक बार भयानक असुर नरकासुर का प्रकोप तीनो लोकों पर फैल गया था। तब श्रीकृष्ण ने उसका वध किया था। वध करने के बाद जब वो वापस घर लौटे तो उनकी बहन सुभद्रा ने उनके सम्मान में दीप जलाए। फूल बरसाए और माथे पर तिलक और चावल लगाकर आरती उतारी। तभी से हर बहन इस दिन अपने भाई की पूजा करके आरती उतारती है।