
भाई दूज के पीछे की कहानी
कहा जाता है कि यमराज और यमुना दोनो सगे भाई बहन थे, लेकिन यमराज, जो कि लोगों के प्राण हरते थे वो इतने व्यस्त रहते थे कि बहन यमुना से मिले हुए कई साल हो गए। यमुना ने कई बार उनको घर बुलाया, लेकिन वो नहीं आ पाए। एक दिन यमराज को वचनवद्ध यमुना के पास जाना पड़ा। यमराज भाई को आता देख यमुना बहुत खुश हो गई और उनके आने पर उन्हें आदर सत्कार से बैठाया, पूजा की, भोजन कराया। इस सब से यमराज बहुत खुश हुए और यमुना को कहा कि मांगो, जो वर वो चाहती हों। यमुना ने कहा कि मैं चाहती हूं कि जैसे आज आप मेरे घर आए हो, ऐसे ही इस दिन कोई भी भाई बहन के घर जाएगा और बहन उसको टीका लगाकर सत्कार करेगी, तो उसे मौत(यमराज) का डर नहीं रहेगा और उम्र बढ़ेगी। यमराज ने तथास्तु कहा और तब से ये रीत चली आ रही है।भाई दूज मनाने की विधि
-सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें-भगवान विष्णू और गणेश जी की पूजा करें
-भाई को सत्कार सहित बैठाएं
-माथे पर तिलक लगाएं
-भाई की लंबी उम्र की कामना करें
-भाई, बहन के लिये कुछ उपहार दे
-अगर संभव हो तो दोनो यमुना में स्नान करें
भाई दूज पर पूजा मंत्र

यमराज की पूजा के लिए : -
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
यमराज को अर्घ्य के लिए : -
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
यमुना पूजा के लिए : -
यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥