क्या है चपचार कुट त्योहार
चपचार कुट उत्सव पर किसान मौसमी खेती के लिए जगह बनाने के लिए बांस के जंगल काट दिया करते हैं। इस मौसम में वे जलाए जाने से पहले कटे हुए बांस के ढेर को सूरज के नीचे सूखने के लिए रखते हैं जिसे चपचार कहा जाता है और कुट मतलब त्योहार होता है, क्योंकि किसानों को इस मौसम के दौरान कुछ और नहीं करना होता है तो वह इसे उत्सव के रुप में मनाते हैं। राज्य में तीन त्योहार यानि कुट मनाए जाते हैं- चपचर कुट, मीम कुट और पाल कुट। सभी तीनों त्यौहार कृषि गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। उत्सवों और पारंपरिक नृत्यों के साथ वसंत के आगमन को चिह्नित करने के लिए यह त्यौहार मनाए जाते हैं। चपचार कुट का यह त्यौहार कुट पुईपेट या उद्घाटन समारोह के साथ शुरू होता है जिसके बाद खेतों को तत्कालीन कटना होता है, जिसके फलस्वरुप मिजोरम वासी स्थानिय नृत्य करते हैं। एक बार जब हनीना शुरू हो जाती है तो समाज के बुजुर्ग सदस्य अपने पारंपरिक परिधानों को पहनना शरु कर देते हैं। इस त्योहार में लोग मोती और तोतों के पंखों से बने रंगीन पारंपरिक वस्त्र और टोपी पहनते हैं। इस त्योहार में वे किसी भी तरह के जूते नहीं पहनते हैं। एक पारंपरिक बांस नृत्य भी करते हैं जहां पुरुष जमीन पर बैठते हैं और एक-दूसरे के खिलाफ बांस को घूमाते हैं। मिजोरम वासी अपने पांरपरिक नृत्य के साथ कुट रोर नामक एक शानदार जुलूस में भाग लेते हैं। इसके बाद विभिन्न जनजातीय नृत्य किए जाते हैं। जिनमें चेरो या बांस नृत्य सबसे महत्वपूर्ण है। यह समारोह थुम्मा के साथ समाप्त होता है जहां स्थानीय गायक एक बार फिर से पारंपरिक वेशभूषा धारण कर भीड़ में सम्मलित होते हैं। चपचार कुट मार्च के महीने में मनाया जाता है। जब प्रकृति में रंगों की शुरुआत होती है पूरा वातावरण हरा भरा हो जाता है। यह त्योहार वसंत की शुरुआत को चिह्नित करता है। चपचार कूट का त्योहार मिजोरम वासियों के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। यह त्योहार मिजोरम के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है। चपचार कुट सभी मिजोरम गांवों में मनाया जाता है। मिजो समाज में लिए यह महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार और पंरपरा है। इस त्योहार के दिन मिजोरम में राजकीय अवकाश भी घोषित किया जाता है।To read this article in English Click here