आज के दौर में भारत सबसे युवा है। भारत के सभी युवा अगर सही मार्ग पर चलें और अच्छे से कार्य करें तो पूरी दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो कि हमें रोक पाए। किसी भी युवा या शख्स का वर्तमान उसकी प्रारंभिक शिक्षा और बाल्यकाल पर निर्धारित रहता है। अगर बचपन से ही उन्होंने अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा पाई हो तो बाद में कोई भी परीक्षा पास करना मुश्किल नहीं होता है। हालांकि इन सब में हमें ये देखना जरूरी होता है कि बच्चे की रुची किसी चीज में है और वो क्या कुछ सबसे अच्छा कर सकता है। इसी बाल्यवस्था को समर्पित है “बाल दिवस” या ”चिल्ड्रन डे”। यूं तो पूरी दुनिया में 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है, लेकिन भारत में इसे 14 नवंबर को मनाते हैं। इस दिन हर स्कूल में रंगारंग कार्यक्रम करवाए जाते हैं। बच्चों के लिये खेलें करवाई जाती हैं। भाषण होते हैं। गाने गंवाए जाते हैं और हर वो गतिविधि करवाई जाती है जिसके कि बच्चे का समुचित विकास हो। ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि कार्यक्रम में हर बच्चा भाग ले, ताकि उसके अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाया जा सके, क्योंकि आम दिनों में पढ़ाई के अलावा किसी में क्या विशेषता है ये कोई नहीं जान पाता।
बाल दिवस

क्यों मनाया जाता है 14 नवंबर को?

14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी का भी जन्मदिन होता है। जवाहर लाल जी का जन्म 1889 को हुआ था। जवाहर जी को बच्चों से बहुत लगाव था, बच्चे भी उन्हें “चाचा नेहरू” कह कर पुकारते थे। इसी के चलते भारत में बाल दिवस चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर मनाने का फैसला किया गया।
बाल दिवस

कैसे मनाया जाता है?

इस दिन सबसे पहले तो चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि दी जाती है। तमामा आला अधिकारी और सूबों के निजाम उनकी समाधि पर जाकर फूल अर्पित करते हैं। चाचा नेहरू के योगदानों को याद किया जाता है, बाद में भजन गाया जाता है।  चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि के बाद देश के हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े स्कूल में कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। नृत्य, गायन, भाषण, खेल, ड्रामा, कौशन प्रदर्शन, ड्राइंग, लेखन समेत कई प्रोग्राम होते हैं जिसमें जीतने वालों को इनाम भी दिये जाते हैं।
 
children day celebrations

बाल दिवस का महत्व

कोई भी कार्यक्रम मनाया जाता है उसके पीछे कुछ कारण होता है। बाल दिवस, जैसा की नाम ही बताता है कि ये बच्चों को समर्पित है। बच्चे ही देश का भविष्य हैं और अगर हम अपने देश को मजबूत और अर्थव्यवस्था के तौर पर आगे ले जाना चाहते हैं तो इन बच्चों को हमें ट्रेंड करना पड़ेगा। बच्चों में अभी से ही नैतिक शिक्षा देनी पड़ेगी ताकि आगे चल कर वो इसी मार्ग पर चलें।


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