यीशु मसीह को सूली पर लटकाने के बाद उनके अुयायियों ने धर्म का प्रचार प्रसार शुरू किया। रोमन कैथोलिक नाम की ईसाई धर्म संगठन बन गए और धीरे धीरे पूरी दुनिया में ईसाई धर्म का प्रचार चल पड़ा। क्रिसमस जो कि यीशु मसीह के जन्म दिवस पर मनाया जाता है उसे रोमन साम्राज्य के दौरान भी मनाया जाता था, लेकिन छुप छुप कर। अगर सैनिकों को पता चल जाता तो वो उन्हें पकड़ लेते। बाहर निकल कर त्योहार के रूप में तो क्रिसमस मनाने का कोई सोच भी नहीं सकता था,क्योंकि इसकी सजा थी मौत। ईसाई अनुयायी चुपचाप ही प्रार्थना कर के क्रिसमस मना लेते थे। पर चौथी शताब्दी के सम्राट कन्सेंटटाइन ने जब ईसाई धर्म अपना लिया तो उनकी प्रजा के कई लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। जो लोग छुप छुप कर प्रार्थना करते थे वो खुलकर बाहर आने लगे। लोगों में ईसाई धर्म के प्रति उत्सुकता बढ़ी और सैंकड़ों लोगों ने इसे अपनाया। युरोप, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में ईसाई धर्म का फैलाव हुआ।
धर्म का फैलाव हुआ तो यीशु मसीह का जन्म दिवस भी मनाया जाने लगा, लेकिन ईसाई धर्म में भी कई भाग बन चुके थे। हर अलग धर्म संगठन अलग तारीख को जन्म दिवस मनाने लगा। कोई 6 जनवरी कोई 19 अप्रैल, 17 नवंबर और अधिकतर 25 दिसंबर को जन्म दिवस मनाने लगे। 5वीं शताब्दी आते आते 25 दिसंबर को ही असली जन्म दिन की तारीख़ मान लिया गया।
भारत में क्रिसमस
यूं तो सारे विश्व में अधिकतर ईसाई धर्म संगठनों ने 25 दिसंबर को ही जन्म दिवस माना है, लेकिन अभी भी कई संगठन ऐसे हैं जो इस पर विश्वसा नहीं रखते। भारत के केरल में जो ईसाई संगठन हैं वो 25 दिसंबर की जगह 7 जनवरी को त्योहार मनाते हैं। 7 तारीख को घोड़े और हाथियों के साथ पूरे शहर में शोभा यात्रा निकलती है।
सोने और चांदी के आभूषणों से सजाए गए सूली के निशान हाथों में पकड़े हुए ये यात्रा बैंड बाजे के साथ चलती है।
हालांकि सभी सीरियन कैथलिक चर्चों ने इन शोभा यात्राओं की जगह प्रार्थना बगैरह ही करना शुरू कर दिया है, लेकिन कहीं कहीं अब भी छोटी शोभा यात्रा निकाल दी जाती है।
भारत में ईसाई धर्म
भारत में पुर्तगालियों के आने पर ईसाई धर्म और और भी प्रचार हुआ। 16वीं शताब्दी के दौरान भारत के तटीय इलाकों में धीरे धीरे ईसाई धर्म ने पैर पसारे। इसका एक कारण ये भी था कि समुद्र के जरिये बाहरी लोगों के आने जाने से ईसाई धर्म का भी प्रचार हो रहा था। जब ईसाई धर्म ने जड़ें जमा लीं तो सारे ईसाई त्योहार भी मनाए जाने लगे।
भारत में जब अंग्रेज आए तो क्रिसमस को सरकारी छुट्टी का त्योहार घोषित किया गया। क्रिसमस को अब हर कोई जानने लगा था। हिंदू कैलेंडर में भी क्रिसमस को खास जगह मिल गई। जब देश आजाद हुआ तब क्रिसमस को राष्ट्रीय त्योहार के और राजपत्रित छुट्टी के तौर पर रखा गया।
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