क्रिसमस का नाम आते ही हरे रंग का ट्री जिस पर लाइट्स और सजावट का सामान होता है वो जहन में आता है। क्रिसमस ट्री के बिना क्रिसमस अधूरी मानी जाताी है। छोटे छोटे क्रिसमस ट्री के साथ साथ मार्किट में बड़े बड़े क्रिसमस ट्री भी मिलते हैं। घर, ऑफिस, मॉल सब जगह क्रिसमस से एक दो दिन पहले अच्छे से सजाए हुए क्रिसमस ट्री लग जाते हैं।

क्रिसमस ट्री का महत्व

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आज के दौर में जो क्रिसमस ट्री लगाए जाते हैं वो सबसे पहले पश्चिम जर्मनी में शुरू हुए थे। क्रिसमस ट्री अधिकतर  डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। माना जाता है कि पेड़ों से अपने घर को मिस्र, चीन और हिब्रु के लोगों सजाते थे। 
यूरोप वासी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे।इस पेड़ पर माला, फूल, हार, आभूषण और मीठी गोलियां लगाई जाती थीं। इन सबका प्रतीक निरंतरता का होता था। ये  विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं।
एक लोकप्रिय नाटक में ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था। उसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी। इस पर रंगीन पत्रियों, कागजों और लकड़ी के तिकोने तख्ते सजाए जाते थे। इंग्लैंड में प्रिंस अलबर्ट ने 1841 में विडसर कैसल में पहला क्रिसमड ट्री लगाया था। धीरे धीरे ये प्रथा बनती गई और हर घर में क्रिसमस ट्री लगाया जाने लगा।

क्रिसमस ट्री के फायदे

-माना जाता है कि क्रिसमस ट्री घर या ऑफिस में रखने से नकारात्मक एनर्जी भागती है और पॉजिटिव एनर्जी  आती है।
-क्रिसमस ट्री से बुरी आत्माएं घर से दूर रहती हैं।
-क्रिसमस ट्री को सजाकर रखने से घर की रौनक में चार चांद लग जाते हैं।

क्रिसमस ट्री को कैसे सजाएं, वीडियो देखें



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