जैसे ही जाड़े का मौसम, दिसम्बर के आख़री हफ्तें के नज़दीक पहुँचता है हम सबको, सबसे चमकीलें और खुशनुमा त्योहार क्रिसमस की याद आने लगती है | घर के बारमण्डे पर कई तरह के सितारों और रंगीनलाइट्स से जलते "क्रिसमस ट्री" किसी का भी मन-मोह लेते है | रंगीन काग़ज़ों से लिपटे तरह-तरह के तोहफें और कई फ्लेवर के केक्स हर किसी का दिल खुश कर देते है | तभी तो क्रिसमस त्योहार भले ही ईसाई धर्म का होता है, लेकिन पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा मनाया जाने वाला त्योहार है | 

क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति पुरानी अँग्रेज़ी के डच शब्द "Cristes Maesse" से हुई है, जिसका मूल अर्थ "Mass Of Christ" है | हिन्दी में इसका अनुवाद करें तो "मसीह की भीड़" होता है | पश्चिमी पंचांग के अनुसार क्रिसमस ईसाई संप्रदाय में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है | हर वर्ष दिसम्बर की 25तारीख़ को पूरे विश्व भर में क्रिसमस का यह त्योहार बड़े जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है | ईसाई धर्म में 25 दिसम्बर इसलिए भी सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है,क्योंकि ईसाई धर्म के संस्थापक भगवान इशू का जन्म इसी दिन हुआ था | इस वर्ष यह त्योहार दिसम्बर की 25 तारीख़ को बड़े जोश के साथ मनाया जाएगा |

भगवान इशू की जन्मकथा

कई हज़ार वर्षों पूर्व स्वर्ग से गेब्रियाल नाम का एक दूत नासरत में मरियम के पास आकर बोला कि तुम पवित्र आत्माओं द्वारा गर्भवती होकर एक लड़के को जन्म दोगी | तुम्हें उस लड़के का नाम यीशू रखना है | जब ये सारी बातें हो रही थी, उस वक़्त मरियम युसुफ की मंगेतर थी | युसुफ को जैसे ही इस बात की खबर लगी तो, वह बदनामी के डर से मरियम से रिश्ता ख़त्म करने का सोचने लगा था, तभी दूत युसुफ की बात को जानकर उसे यह समझाया कि तुम फ़िक्र मत करो | मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती होगी | दूत की बातों से तसल्ली पाकर युसुफ ने मरियम से विवाह कर घर ले आया | नासरत उस समय रोमन साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था | मरियम की गर्भवस्था के दौरान रोमन राज्य की जनगणना का समय आ गया | युसुफ जनगणना में अपना और मरियम का नाम दर्ज़ कराने हेतु उसे येरूशलम् बेथलहम साथ ले आया | बेथलहम पहुँचकर जब उन्हें सराय में जगह नही मिली तो उन दोनों ने पास के ही एक गौशाला में शरण लिया | वहाँ रहते हुए जब मरियम के जनने के दिन नज़दीक आ गये तो, उसने वहीं पर एक बच्चें को जन्म दिया और कपड़े से लपेटकर घास से बने बिछौने पर लिटा दिया | बच्चें को लिटाकर मरियम ने उसका नाम यीशू रखा |

गौशाला के पास रहने वाले गढ़रीयें यह खबर पाते ही, उस बच्चे के दर्शन के भागे चले आए कि उनका मोक्षदाता धरती में जन्म ले चुका है | यीशू के जन्म की सूचना पाकर पास के तीन ज्योतिषी दौड़े चले आए और भगवान यीशू का यशोगान करने लगे | इन्हीं ज्योतिषियों ने अपने साथ सोने, मूर और लुबान उनके चरणों में अर्पित कर दिया | कहा जाता है कि ज्योतिषियों को एक तारे ने सूचना दी थी | इसलिए क्रिसमस में तारों का बहुत अधिक महत्व है | यही वजह है कि क्रिसमस मे बनाई जाने वाली झाकियों में भेड़, गाय, बकरी, घास, गढ़रीयें, राजा आदि एक साथ दिखते है | यह भी मान्यता है कि उस तारें ने धरती पर ईश्वर के आगमन के संकेत दिए थे|



क्रिसमस कैसे मनाया जाता है?

क्रिसमस आने के कई दिनों पहले से ही इस त्योहार की तैयारी शुरू कर दी जाती है | घर मे सॉफ-सफाई करके, रंगरोंगन किया जाता है | घर को पूरी तरह से सजाया जाता है| क्रिसमस के एक दिन पहले ही क्रिसमस ट्री घर लाकर उसे रंगीन गेंद और चमकीलें सितारों से सजाया जाता है | इसके अलावा पूरे घर और ख़ासकर क्रिसमस ट्री पर बहुत सुंदर लाइटिंग की जाती है | इस दिन सबसे पहले चर्च जाकर लोग प्रार्थना करते है | इस दिन केक का बहुत अधिक महत्व है, इसलिए कई फ्लेवर के केक खास क्रिसमस के लिए बनाए जाते है | केक के साथ एप्पल पाई, पुड्डिंग जैसे कई पकवान बनाए जाते है और आस-पड़ोस में एक-दूसरे के यहां भिजवायें जाते है | इस दिन तोहफें देने का प्रचलन है | लोग अपने सगे-संबंधियों से मिलकर उन्हें कई तरह के तोहफें भी देते है |


तोहफें और सांता क्लोस

तोहफें से सबसे पहली बात जो ध्यान में आती है, वह ये कि सांता क्लोस हम सभी, ख़ासकर बच्चों के लिए तोहफें लेकर आते है | कहा जाता है, इस दिन जो भी अपने जुराब बाहर टाँग देते है, सांता रात में आकर उसमे तोहफें रखकर चले जाते है | वैसे कहा जाता है कि फ्रांस के मायरा के रहने वाले संत निकोलस ही सांता क्लोस है | सांता क्लोस के इस तरह तोहफें देने के पीछे एक कहानी बहुत प्रचलित है | संत निकोलस एक संपन्न परिवार से आते थे पर उनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी | दूसरों की मदद करना उनके स्वाभाव में था | वह अक्सर जब किसी मदद करते तो रात के अंधेरें में करते थे, ताकि कोई यह जान ना सके कि उन्होंनें यह वस्तु दी है | ऐसे ही एक बार एक ग़रीब की 3 बेटियाँ थी | वह ग़रीब उन तीनों की शादी करने मे असमर्थ था, इसलिए वह उन तीनों से मज़दूरी और देह व्यापार कराने के लिए मजबूर हो रहा था | यह बात संत निकोलस को मालूम होते ही वह रात उसके घर गये और वहाँ सुख रहे जुराबों में सोने के सिक्के डाल आए | तब से लोग क्रिसमस के दिन, अक्सर बच्चों से अपने मोजे बाहर रखकर सोने के लिए कहते है | वैसे संत निकोलस और भगवान यीशू का कोई संबंध नही है, क्योंकि यीशू की मृत्यु के 280 साल बाद संत निकोलस का जन्म हुआ था, लेकिन पूरे ईसाई धर्म में माँ मरियम और भगवान यीशू के बाद सबसे अधिक संत निकोलस ही पूजे गये है | शायद इसीलिए क्रिसमस के मौकें पर सांता क्लोस का इतना महत्व है |      



क्रिसमस ट्री रखने की वजह

फर के त्रिभुजाकार वृक्ष, उस पर लगी रोशनी, उस पर सजे चमकीलें तारें और सेब देखने में बहुत खूबसूरत लगता है | लेकिन क्या आप जानते है कि क्रिसमस ट्री के पीछे क्या कहानी है? यूँ तो इसे लेकर कई किंवदंतियाँ प्रचलित है पर आज के दौर मे जिस तरह से क्रिसमस के त्योहार पर क्रिसमस ट्री सजाया जाता है,  उसका श्रेय "मार्टिन लूथर" को जाता है | कहते है कि क्रिसमस की एक शाम पूर्व, वह बाहर यूँ ही घूम रहे थे और फर के वृक्षों की आड़ से आकाश में टिमटिमातें तारों को देख रहे थे| पेड़ की आड़ पर चमकता तारा बहुत सुंदर लग रहा था | वह जल्दी से घर के भीतर आकर बाकी लोगों को यह बात बताई और यह कहा कि इस दृश्य ने मुझे भगवान यीशू के जन्म की याद दिला दी | हम हर साल फर के वृक्ष के साथ मोमबत्ती आदि से इसे सजाकर क्रिसमस मनायेंगे | तब से ही क्रिसमस ट्री रखने की परंपरा की शुरुआत हुई |

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March (Phalgun)