यीशु जन्म कथा
गौशाला के पास रहने वाले गडरिये यह खबर पाते ही, उस बच्चे के दर्शन के भागे चले आए कि उनका मोक्षदाता धरती में जन्म ले चुका है | यीशू के जन्म की सूचना पाकर पास के तीन ज्योतिषी दौड़े चले आए और भगवान यीशू का यशोगान करने लगे | इन्हीं ज्योतिषियों ने अपने साथ सोने, मूर और लुबान उनके चरणों में अर्पित कर दिया | कहा जाता है कि ज्योतिषियों को एक तारे ने सूचना दी थी | इसलिए क्रिसमस में तारों का बहुत अधिक महत्व है | यही वजह है कि क्रिसमस मे बनाई जाने वाली झाकियों में भेड़, गाय, बकरी, घास, गढ़रीयें, राजा आदि एक साथ दिखते है | यह भी मान्यता है कि उस तारें ने धरती पर ईश्वर के आगमन के संकेत दिए थे| उस दिन एक तारा आसमान में बहुत चमक रहा था तो लोग समझ गए कि भगवान ने जन्म ले लिया है।
छोटी उम्र में ही दिखाए चमत्कार
यीशु जन्म से ही बहुत चमत्कारी और जल्दी सीखने वाले थे। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने मंदिर में टीचर्स से बातचीत शुरू कर दी। टीचर हैरान थे कि इतना छोटा बच्चा परमेश्वर के बारे में सब कुछ कैसे जानता है। एक बार यीशू का परिवार त्योहार मनाने गया। वापसी के वक्त यीशु साथ मे नहीं थे। परिवार वालों ने सब जगह ढूंढा, लेकिन वो नहीं मिले। बाद में जब वो ढूंढते हुए मंदिर पहुंचे तो देखा कि यीशु मंदिर के टीचर्स से बातें कर रहा है और उनसे सवाल पूछ रहा है। यीशु के माता पिता ने कहा कि वो यहां क्यों बैठा है और हमारे साथ क्यों नहीं आया। तब यीशु ने कहा कि आपको पता नहीं है मुझे मेरे पिता के घर रहना है। यीशु ने कई चमत्कार भी किए। जैसे, उसने कुछ छोटी मछलियों और थोड़ी-सी रोटियों से हज़ारों लोगों को खाना खिलाया। बीमार लोगों को ठीक किया, यहाँ तक कि मरे हुओं को भी ज़िंदा किया।यीशु धीरे धीरे बड़ा हुआ और जवान होने पर युहन्ना ने उन्हें बपतिस्मा दिया। यूहन्ना उन लोगों को बपतिस्मा देता था, जो अपने गलत कामों के लिए माफी माँगना चाहते थे। मगर यीशु ने कोई गलत कान नहीं किया था। फिर भी उसने बपतिस्मा लिया। दरअसल यीशु के पिता एक बढ़ई थे तो यीशु ने भी वही काम करना सुरू कर दिया। पर परमेश्वर ने अपने बेटे को ज़मीन पर बढ़ई बनाने के लिये नहीं भेजा था। उसे ज़रूरी काम करने के लिये भेजा गया था और वो काम करने का वक्त आ चुका था। इसलिये यीशु युहन्ना के पास बपतिस्मा लेने गया। जैसे ही यीशु ने बपतिस्मा लिया तो आकाश से कबूतर उड़े और आवाज आई ये मेरा बेटा है औ में खुश हूं।बपतिस्मे के बाद, यीशु को कई बातों के बारे में गहराई से सोचना था। इसलिए वह 40 दिन के लिए एक सुनसान जगह चला गया। वहाँ शैतान उसके पास आया। शैतान ने तीन बार कोशिश की कि यीशु, परमेश्वर के नियम के खिलाफ काम करे, लेकिन यीशु ने हर बार उसकी कोशिश नाकाम कर दी। उसके बाद यीशु वहाँ से लौट गया। लौटते वक्त वह कुछ आदमियों से मिला जो उसके पहले चेले बने।
एक राजा के तौर पर
यीशु की गिरफ्तारी
यीशु, बात कर ही रहा था कि लोगों का शोरगुल सुनायी देने लगा। जब उसने नज़र उठायी तो देखा कि कई आदमी मशाल, तलवार और लाठी लिए चले आ रहे थे। जब वे नज़दीक आए, तो भीड़ में से एक आदमी निकलकर यीशु के पास आया। उसने यीशु को चूमा। यहूदा का यीशु को चूमना एक निशानी थी। इससे यहूदा के साथ आए लोगों को पता चल जाता कि वही यीशु है, जिसे वे पकड़ना चाहते हैं। तब यीशु के दुश्मनों ने आगे बढ़कर उसे दबोच लिया। लेकिन पतरस इतनी आसानी से उन्हें यीशु को नहीं ले जाने दे सकता था। उसने तुरंत अपनी तलवार निकाली और अपने पास खड़े आदमी पर चला दी। उस आदमी का सिर तो बच गया, लेकिन दायाँ कान चला गया। पर यीशु ने उस आदमी का कान छुआ और उसे फिर से जोड़ दिया।
यीशु ने पतरस से कहा: ‘तलवार को म्यान में रखो। तुम क्या सोचते हो, अगर मैं चाहूँ तो क्या अपने बचाव के लिए हज़ारों स्वर्गदूत नहीं बुला सकता?’ अब समय आ गया है और मुझे जाना चाहिए। ऐसा कहकर यीशु सैनिकों के साथ चले गए।