हिंदू मान्यताओं में प्यार के देवता कामदेव माने गए हैं। जीवन में प्यार उतना ही आवश्यक है जितना की सांस लेना जरुरी है। प्यार के बिना जीवन अधुरा होता है। कामदेव को प्यार का प्रतिक माना जाता है। प्यार का अर्थ यौनेच्छा नहीं होता अपितु धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष होता है। अर्थात जो चीज सुख और समृद्धि देती है वो कामदेव का स्वरुप है। कामदेव का नाम दो शब्दों को जोड़कर बना है काम जिसका अर्थ प्रेम, इच्छा, लालसा और कामुकता होती है। देव यानि दिव्य। अर्थात कामदेव का अर्थ है दिव्य प्रेम। हिंदू मान्यता में कामदेव को मुख्य देवताओं की तरह पूजा जाता है। कामदेव को भगवान विष्णु व कृष्ण के पुत्र प्रद्युमन का रुप मानते हैं। कुछ मान्यतानुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के संचालन के लिए कामदेव को प्रकट किया था। विष्णु पुराण और भागवत पुराण कहते हैं कि कामदेव विष्णु हैं। कभी-कभी उन्हें शिव भी कहा जाता है और संस्कृत में प्रयाशिचिता पद्यता लिखा जाता है। काम अग्नि का नाम भी है। कामदेव को प्रेम का प्रतिक मानकर पूजा जाता है। यदि काम देव ना होंगे तो सृष्टि आगे ही नहीं बढ़ेगी। काम देव का रुप सुंदर युवा एवं आकर्षक है। कामदेव की पत्नी की नाम रति है। कामदेव का बहुत शक्तिशाली माना जाता है वो किसी का भी मन एक पल में बदल सकते हैं। इसलिए उन्हें किसी कवच की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। कामदेव के कई नाम प्रसिद्ध हैं रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि नामों से भी जाना जाता है। कामदेव को अर्धदेव या गंधर्व भी कहा जाता है, जो स्वर्ग के वासियों में कामेच्छा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी हैं। कहीं-कहीं कामदेव को यक्ष की संज्ञा भी दी गई है। कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है। ब्रह्मा जी के वरदान स्वरुप कामदेव 12 जगह निवास करते हैं। यह 12 जगह स्त्रियों के कटाक्ष, केश राशि, जंघा, वक्ष, नाभि, जंघमूल, अधर, कोयल की कूक, चांदनी, वर्षाकाल, चैत्र और वैशाख महीना है। कोयल, तोते, गले लगाने वाली मधुमक्खियों, वसंत का मौसम और सौम्य ठंडी हवा कामदेव की मुख्य विशेषताएं हैं। कामदेव का प्रचलित मंदिर भारत के मध्य प्रदेश में स्थित खजुराओं का मंदिर हैं। जहां कामदेव के विभिन्न रुप प्रदर्शित हैं।
कामदेव

कामदेव का स्वरुप

कामदेव का विवाह रति नाम की देवी से हुआ था, जो प्रेम और आकर्षण की देवी मानी जाती है। कामदेव को धनुष और तीर लेकर पंख वाले युवा, सुन्दर आदमी के रूप में चित्रित किया गया है। उसका धनुष शहद के एक कॉर्ड के साथ गन्ने से बना होता है, कामदेव को सुनहरे पंखों से युक्त एक प्रदर्शित किया गया है जिनके हाथ में धनुष और बाण हैं। ये तोते के रथ पर मकर के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं। वैसे कुछ शास्त्रों में हाथी पर बैठे हुए भी बताया गया है। भगवान कामदेव तोता पर बैठे भी देखा जाता है। इनका धनुष मिठास से भरे गन्ने का बना होता है जिसमें मधुमक्खियों के शहद की रस्सी लगी है। उनके धनुष का बाण अशोक के पेड़ के महकते फूलों के अलावा सफेद, नीले कमल, चमेली और आम के पेड़ पर लगने वाले फूलों से बने होते हैं। कामदेव की पूजा विशेशकर वसंत पंचमी के दिन की जाती है। वसंत को कामदेव का मित्र बताया जाता है इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है यानी जब कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। इनके तीर के तीन दिशाओं में तीन कोने होते हैं, जो तीन लोकों के प्रतीक माने गए हैं। इनमें एक कोना ब्रह्म के आधीन है जो निर्माण का प्रतीक है। यह सृष्टि के निर्माण में सहायक होता है। दूसरा कोना विष्णु के आधीन है, जो ओंकार या पेट भरने के लिए होता है। यह मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है। कामदेव के तीर का तीसरा कोना शिव के आधीन होता है, जो मकार या मोक्ष का प्रतीक है। यह मनुष्य को मुक्ति का मार्ग बताता है। यानी, काम न सिर्फ सृष्टि के निर्माण के लिए जरूरी है, बल्कि मनुष्य को कर्म का मार्ग बताने और अंत में मोक्ष प्रदान करने का रास्ता सुझाता है। कामदेव के धनुष का लक्ष्य विपरीत लिंगी होता है। इसी विपरीत लिंगी आकर्षण से बंधकर पूरी सृष्टि संचालित होती है।कामदेव का एक नाम 'अनंग' है यानी बिना शरीर के ये प्राणियों में बसते हैं। एक नाम 'मार' है यानी यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। वसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है।

कामदेव का जन्म

कामदेव के जन्म की कई अलग-अलग कहानियां हैं। शिव पुराण कामदेव के अनुसार ब्रह्मा के मन से उत्पन्न होता है जबकि एक और कहानी उन्हें श्री पुत्र के रूप में पहचानती है। राती कामदेव का पत्नी है जो इच्छा के देवता की विशेषता का एक उदाहरण है। देवी वसंत भी कामदेव की सहायता करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव सती के वियोग के कारण दिन-रात ध्यान में मग्न रहते थे औऱ धरती एवं आकाश में ताराकसुर नामक राक्षस का आंतक बढ़ता जा रहा था तारकासुर को केवल भगवान शिव के पुत्र ही मार सकते थे। किन्तु भगवान शिव ध्यानमग्न थे और पुत्र के जन्म के लिए उनका ध्यान पर से उठना आवश्यक था किन्तु भगवान शिव की साधना भंग करने का साहस किसी में भी नहीं था। देवताओं के कहने पर कामदेव शिव का ध्यान तोड़ने के लिए राजी हो गए। जिसके बाद उन्होंने नृत्य एवं अपनी कामसक्ति से शिव का मन चंचल कर दिया और उनका ध्यान तोड़ दिया। किन्तु ध्यान टूटने के कारण शिव क्रोध में आ गए और उनके नेत्र की ज्योति से कामदेव भस्म हो गए। कामदेव को जलता देख उनकी पत्नी रति विलाप करने लगी। रति की प्रार्थना से प्रसन्न हो शिवजी ने कहा कि कामदेव ने मेरे मन को विचलित किया था इसलिए मैंने इन्हें भस्म कर दिया। अब अगर ये अनंग रूप में महाकाल वन में जाकर शिवलिंग की आराधना करेंगे तो इनका उद्धार होगा। तब कामदेव महाकाल वन आए और उन्होंने पूर्ण भक्तिभाव से शिवलिंग की उपासना की। उपासना के फलस्वरूप शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम अनंग, शरीर के बिन रहकर भी समर्थ रहोगे। कृष्णावतार के समय तुम रुक्मणि के गर्भ से जन्म लोगे और तुम्हारा नाम प्रद्युम्न होगा। शिव के कहे अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि को प्रद्युम्न नाम का पुत्र हुआ, जो कि कामदेव का ही अवतार था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण से दुश्मनी के चलते राक्षस शंभरासुर नवराज प्रद्युम्न का अपहरण करके ले गया और उसे समुद्र में फेंक आया। उस शिशु को एक मछली ने निगल लिया और वो मछली मछुआरों द्वारा पकड़ी जाने के बाद शंभरासुर के रसोई घर में ही पहुंच गई। तब रति रसोई में काम करने वाली मायावती नाम की एक स्त्री का रूप धारण करके रसोईघर में पहुंच गई। वहां आई मछली को उसने ही काटा और उसमें से निकले बच्चे को मां के समान पाला-पोसा। जब वो बच्चा युवा हुआ तो उसे पूर्व जन्म की सारी याद दिलाई गई। इतना ही नहीं, सारी कलाएं भी सिखाईं तब प्रद्युम्न ने शंभरासुर का वध किया और फिर मायावती को ही अपनी पत्नी रूप में द्वारका ले आए।

कामदेव का मंत्र

स्कंद पुराण बताते हैं कि कामदेव प्रसति का भाई और शतरूप के बच्चे हैं। बाद में परिचय उन्हें विष्णु के पुत्र मानते हैं। सभी स्रोत इस तथ्य से मेल खाते हैं कि कामदेव प्रसूति और दक्ष की पुत्री रती से शादी कर चुके हैं। व्यक्ति के जीवन में ऐसे कई अवसर आते हैं जब ऐसे ही किसी उपाय की जरूरत पड़ती है। किसी रूठे हुए को मनाना हो या किसी को अपने नियंत्रण में लाना हो, तब वशीकरन जैसे उपाय की सहायता ली जा सकती है। भगवान कामदेव की अराधना करने से रुठे हुए प्रेमी मान जाते है। पती-पत्नी के बीच कटुता समाप्त हो जाती है। मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है। कामदेव के मंत्र में बहुत शक्ति होती है। कामदेव का मंत्र और उनके यंत्र का क्रवार को सुबह पूजन करना चाहिए कामदेव वशीकरण यन्त्र पर सुगन्धित फूलों की माला अर्पण कर एक माला मंत्र जप करना चाहिए। इस मंत्र का लगातार 21 दिन तक 108 बार जाप करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। काम देव की क्लिं मंत्र बहुत लाभकारी होता है। कामदेव का क्लिं मंत्र है-

ऊं नमो भगवते कामदेवाय, यस्य यस्य दृश्यो भवामि, यश्च यश्च मम मुखम पछ्यति तत मोहयतु स्वाहा।।
एंव
ॐ कामदेवाय: विदमहे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नो अनंग: प्रचोदयात।।

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