धनुसंक्रांति उस दिन पड़ती है,जब सूर्य धनुराशि में प्रवेश कर जाता है | हिंदूधर्म में सूर्यपंचांग के अनुसार धनु संक्रांति के दिन से नौवें महीने का आरंभ होता है| वैष्णव संप्रदाय के अनुसार इसे ही अत्यंत शुभमाह "धनुमाह" भी कहा जाता है | धनुसंक्रांति के दिन सूर्यदेव की आराधना का बहुत महत्व है | इस दिन सूर्यदेव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है| इस दिन भक्त और श्रद्धालु गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते है | ऐसी पवित्र नदियों मे डुबकी लगाने से यह मान्यता जुड़ी है कि यह पारंपरिक रस्म बहुत फलदायी मानी जाती है | इसे करने से मनुष्य के बुरे कर्म या पापों से मुक्ति मिलती है |

धनु संक्रांति का यह पर्व ओड़ीसा में हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है | ओड़ीसा के पूरी शहर में इस पर्व से संबंधित रथयात्रा निकाली जाती है | इस दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है | ओड़ीसा में पौषमाह बहुत से माह के रूप मे मनाया जाता है | ओड़ीसा में रहकर कार्य करने करने वाले किसान,जब अपनी फसल की कटाई कर लेते है, तब वह उत्सवो का त्योहार मानते है|

धनु संक्रांति के दिन ओड़ीसा में एक खास तरह का मीठा बनाया जाता है, जिसे "मीठाभात" कहा जाता है| इसे पकाने के बाद इसे सबसे पहले भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाता है, उसके बाद यही भोग प्रसाद के रूप में सभी श्रद्धालूंओं को वितरित किया जाता है |

धनु संक्रांति का उत्सव

इस दिन ओड़ीसा के बरगड़ शहर में प्रतीक के रूप में एक नुक्कड़ नाट्य का आयोजन किया जाता है| नुक्कड़ नाटक मे श्री कृष्ण के जीवन का एक हिस्सा प्रदर्शित किया जाता है, जिसमे वह अपने मामा कन्श द्वारा आयोजित धनुयात्रा के लिए अपने बड़े भाई बलराम के साथ मथुरा जाते है | श्रीकृष्ण के मामा कन्श द्वारा आयोजित की गयी इस यात्रा का उद्देश्य श्रीकृष्ण की हत्या करना होता है, पर कन्श अपने इस उद्देश्य मे सफल नही हो पाता है| इस नाट्य मे बरगड़ को मथुरा मान लिया जाता है| बरगड़ शहर की सीमा से लगकर बहने वाली ज़ीरा नदी को यमुना नदी माना जाता है | नदी के उस पार पास के ही एक गाँव अंबपाली को गोपापूर और पास ही बने आम के बगीचे को वृंदावन मानकर भागवतपुराण मे उल्लेखित कई प्रसंगों का यहाँ खूबसूरती से चित्रण किया जाता है |

इस पूरे उत्सव में लगभग पूरा ओड़ीसा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है| यह पूरा उत्सव पौष के शुक्लपक्ष से लेकर पूर्णिमा यानी 10-12 दिन तक चलता है| इस उत्सव के दौरान आसपास का लगभग 5-6 किलोमीटर का क्षेत्र खुले रंगमंच सा बन जाता है |
 

अनुष्ठान

-प्रातः उठकर सबसे पहले सूर्यदेव को फूल और जल चढ़ाकर उनकी आराधना की जाती है
-इस दिन भगवान जगन्नाथ ओड़ीसा के कई स्थानों पर पूजे जाते है
-पौष माह के शुक्लपक्ष से लेकर पूर्णिमा तक धनुयात्रा निकाली जाती है
-भगवान जगन्नाथ को चढ़ाया गया मीठाभात ही सभी भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है
-नुक्कड़ नाटकों की सहायता से धनुयात्रा का प्रदर्शन किया जाता है

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