नरक चतुर्दशी कथा
नरकासुर एक पापी राजा था। उसे वर मिला हुआ था कि वो सिर्फ मां भूदेवी के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिये नरकासुर ने स्वर्ग लोक पर अत्याचार करना शुरू कर दिये। सभी देवता भगवान कृष्ण के पास गए। भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा जो कि भूदेवी का पुनर्जन्म थीं उन्हें रथ में लेकर नरकासुर से युद्ध करने जा पहुंचीं। नरकासुर ने एक तीर मारा जो कि श्रीकृष्ण को लगा। सत्यभामा इससे गुस्से में आ गईं। सत्यभामा ने तीर से नरकासुर का वध कर दिया। असुर के मारे जाने पर सभी लोगों ने खुशियां मनाईं।नरक चतुर्दशी पूजा
सूरज निकलने से पहले उठ कर शरीर पर तेल या उबटन लगाएं। इसके बाद स्नान करें। स्नान करने के बाद दक्षिण की ओर मुंह करके हाथ जोड़ें और यमराज जी से प्रार्थना करें। पूरा दिन भगवान का आचरण करें और शुभ कार्य करें। शाम के वक्त सभी देवी देवताओं की पूजा के बाद तेल के दीपक जलाकर मुख्य दरवाजे की चौखट पर रखें। अपने कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाएं। ऐसा करने से एक तो पाप नष्ट होते हैं और दूसरा माता लक्ष्मी का निवास होता है।
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