पटाखों का प्रदूषण
पटाखों से दो तरह का प्रदूषण निकलता है। एक तो ध्वनि प्रदूषण और दूसरा वायु प्रदूषण। अगर बड़े शहरों की बात करें तो यहां की हवा और भी ज़हरीली हो जाती है। हवा में हानिकारक कार्बन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों के मुकाबले दिवाली के दिन पांच गुना ज्यादा प्रदूषण बढ़ जाता है। दिवाली की रात प्रदूषण का ग्राफ 1200 से 1500 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब तक पहुंच जाता है। दीवाली के अगले दिन करीब 11 सौ, दूसरे दिन 8 सौ और फिर 4-5 दिन के बाद प्रदूषण 284 से 425 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब पर वापस पहुंचता है।पटाखों के खतरनाक रसायन
वहीं ज्यादा आवाज से सुनने की क्षमता घटती है और सिर दर्द, अनिद्रा ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।
कैसे बचें प्रदूषण से
दिवाली को साफ और स्वच्छ बनाने के लिये हमें इको फ्रेंडली दिवाली का सिद्धांत अपनाना चाहिए। हालांकि आजकल स्कूलों और कॉलेजों में कई संस्थाएं बच्चों को पटाखे नहीं जलाने को लेकर जागरुक कर रही हैं। साथ ही इको फ्रेंडली पटाखे जलाने की भी राय दी जा रही है। इन पटाखों से न तो किसी दुर्घटना का अंदेशा है और न ही पर्यावरण के नुकसान का खतरा। हवा में लहराते यह पटाखे न तो ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और ना ही वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। वहीं दुकानदारों को भी ऐसे पटाखे ज्यादा बेचने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इको फ्रेंडली दिवाली वीडियो
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