दिवाली में पहले दीये जलाये जाते थे, फिर मोमबत्तियां भी आ गईं और धीरे धीरे पटाखों ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली। आज के दौर में पटाखों के बिना दिवाली को दिवाली समझा ही नहीं जाता। चलो पटाखों तक तो ठीक है, लेकिन उसके फटने के बाद जो धुआं आसमान में रह जाता है वो ठीक नहीं है। दिवाली की रात देश भर में करोड़ों पटाखे कुछ ही घंटों में फटते हैं। इन करोड़ों पटाखों से कई सौ गुणा खतरनाक धुआं निकलता है जो कि मनुष्य और पर्यावरण के लिये हर तरफ से हानिकारक है।

Related image

पटाखों का प्रदूषण

पटाखों से दो तरह का प्रदूषण निकलता है। एक तो ध्वनि प्रदूषण और दूसरा वायु प्रदूषण। अगर बड़े शहरों की बात करें तो यहां की हवा और भी ज़हरीली हो जाती है। हवा में हानिकारक कार्बन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों के मुकाबले दिवाली के दिन पांच गुना ज्यादा प्रदूषण बढ़ जाता है। दिवाली की रात प्रदूषण का ग्राफ 1200 से 1500 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब तक पहुंच जाता है। दीवाली के अगले दिन करीब 11 सौ, दूसरे दिन 8 सौ और फिर 4-5 दिन के बाद प्रदूषण 284 से 425 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब पर वापस पहुंचता है।

पटाखों के खतरनाक रसायन

Related image

पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट, एल्युमीनियमस बेरिमय नाइट्रेट, सल्फर डाइआक्साइड, कॉपर कंपाउं और लीथीयम कंपाउंड होते हैं। इन सब से सांस, त्वचा और फेफड़ों की बीमारियां होने का खतरा रहता है। दमे के मरीजों को इस दिन घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए,क्योंकि रात 9 बजे के बाद हर जगह पर बस धुआं ही धुआं दिखता है।
वहीं ज्यादा आवाज से सुनने की क्षमता घटती है और सिर दर्द, अनिद्रा ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।

कैसे बचें प्रदूषण से

Related image

दिवाली को साफ और स्वच्छ बनाने के लिये हमें इको फ्रेंडली दिवाली का सिद्धांत अपनाना चाहिए। हालांकि आजकल स्कूलों और कॉलेजों में कई संस्थाएं बच्चों को पटाखे नहीं जलाने को लेकर जागरुक कर रही हैं। साथ ही इको फ्रेंडली पटाखे जलाने की भी राय दी जा रही है। इन पटाखों से न तो किसी दुर्घटना का अंदेशा है और न ही पर्यावरण के नुकसान का खतरा। हवा में लहराते यह पटाखे न तो ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और ना ही वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। वहीं दुकानदारों को भी ऐसे पटाखे ज्यादा बेचने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इको फ्रेंडली दिवाली वीडियो





To read this article in English, click here

Forthcoming Festivals