महालय पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है और देवी पक्ष का पहला दिन। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और फिर लंका पर फतेह पाई थी। महालया दुर्गा पूजा से करीब एक हफ्ता पहले आती है। ये दिन बंगाल के लोगों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन मां दुर्गा को मंत्रोच्चार और अराधना से ज़मीन पर आने का आह्वान किया जाता है। लगभग हर जगह पूजा अर्चना की जाती है। भक्त मां के भक्त आधी रात तक भजन गाते रहते हैं।
इस दिन पूर्वजों की आत्माओं को भी श्रद्धांजलि दी जाती है। पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलवाने के लिये खास तर्पण भी किया जाता है। ये तर्पण गंगा घाट पर किया जाता है, जहां पंडित विशेष मंत्र पढ़कर पूरी विधि करवाते हैं। तर्पण विधि सुबह जल्दी शुरू हो जाती है और दोपहर तक चलती है। नियम है कि तर्पण खाली पेट ही करना चाहिए।