दशहरा यानि विजयादशमी, जिसका मतलब विजय का दिन होता है। इस दिन ही भगवान राम ने रावण को मार कर विजय हासिल की थी। राम अच्छाई और रावण बुराई का प्रतीक माने जाते हैं। राम की रावण पर विजय को अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर देखा जाता है। इसी दिन माता दुर्गा ने महिषासुर पर भी विजय पाई थी। दशहरे से 14 दिन पहले तक रामलीला दिखाई जाती है, जिसमें भगवान राम की जीवन लीला स्टेज पर दर्शाई जाती है। आखिरी दिन रावण का वध होता है और इसी के साथ रामलीला भी खत्म हो जाती है। दशहरे का दिन काफी अच्छा माना जाता है। कहते हैं अगर किसी कि शादी का कोई मुहूर्त ना हो तो इस दिन वो शादी कर सकते हैं।

दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी

दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी। पूरे साल में तीन सबसे शुभ घड़ियां होती हैं, एक है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी है कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा। इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है और उसमें अवश्य ही विजय मिलती है। दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसामान में नई ऊर्जा भर जाती है। जीवन में सकरात्मकता का संचार होता है। 

दशहरा पूजा विधि

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- सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें
-आंगन में गोबर के गोल बर्तन जैसे बनाएं।
-इनको श्रीराम समेत अनुजों की छवि मानें।
-इन चार बर्तनों में गीला धान और चांदी रखें।
- बर्तनों को कपड़े से ढंक दें।
- धूप, दीप, ज्योत, फूलों से उनकी पूजा करें
- सच्चे मन से भगवान का ध्यान करें
- पूजा के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं
- सबसे बाद खुद भोजन करें

रावण का पुतला

दशहरे का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन इसको लेकर बच्चों और युवाओं में खासी उत्सुकता रहती है। सबसे पहले तो दशहरे के साथ दीवाली की आहट भी शुरू हो जाती है और बच्चों को पटाखे, रोशनी चलाने का मौका मिल जाता है। दूसरा होता है पुतला बनाना। रावण का पुतला लगभग देश के हर हिस्से में, हर गली में और हर चौराहे पर लगाया जाता है। शाम को सब लोग इकट्ठा होते हैं, कोई एक शख्स राम बनता है और पुतले को आग लगा देता है। लोग तालियां मारते हैं और जबरदस्त आतिशबाजी की जाती है। मेले लगते हैं, मिठाई खरीदी जाती है।
रावण के छोटे छोटे पुतले तो बच्चे खुद ही बना लेते हैं, लेकिन बड़े बड़े पुतले बनाने का काम कई महीने पहले ही शुरू हो जाता है। हजारों से लाखों कि कीमत के ये पुतले कई फुट ऊंचे बनाए जाते हैं। देश में सबसे बड़ा रावण अंबाला के बराड़ा में बनाया जाता है। वहीं और जगह पर रावण को नाम दे दिये जाते हैं, जैसे आतंकवाद का रावण, पॉल्यूशन का रावण आदि। दशहरा एक त्योहार तो है ही साथ ही में हजारों लोगों के रोजगार का साधन भी है।

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सबसे अलग दशहरा

कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)

कुल्लू में शायद ही ऐसा कोई और त्योहार मनाया जाता होगा, जिनती भव्यता से दशहरा मनाया जाता है। कुल्लू के धालपुर मैदान में सात दिन तक दशहरे का त्योहार चलता है। यहां दूर दूर से लोग मेला दखने आते हैं। स्थानीय देवी देवता भी मेले में शिरकत करते हैं। कुल देवताओं को पालकी में बैठाकर यात्राएं निकाली जाती हैं।

मैसूर का दशहरा

कर्नाटक के मैसूर में भी दशहरा काफी धूम धाम से मनाया जाता है। रंग बिरंगे शहर में बड़े बड़े हाथियों को सजाया जाता है और फिर झांकियां निकाली जाती हैं। चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर ये कार्यक्रम शुरू किए जाते हैं।


दिल्ली का दशहरा

दिल्ली के दशहरे का एक अलग ही रूप है। यहां दशहरे के दिन बड़े बड़े पुतले बनाए जाते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आग लगाते हैं। दिल्ली में रामलीला मैदान और सुभाष पार्क में बड़े पुतले जलाए जाते हैं।


अंबाला के बराड़ा का दशहरा

अंबाला के बराड़ा में अब तक का सबसे ऊंचा रावण का पुतला दहन होता रहा है। बराड़ा का रावण पांच बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है । पिछले साल रावण का पुतला 210 फुट का था जो कि देश में सबसे ऊंचा था।

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