अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस दिन नवरात्रि खत्म हो जाती है और हर जगह विजय पताका फहराता है। कहते हैं इस दिन की पूजा का बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। इस दिन दशहरे की विशेष प्रतिमाएं भी गेहूं के आटे से बनाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं को विधिपूर्वक पूजा जाता है।

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दशहरा होता है हर तरफ से शुभ

-इस दिन नया कार्य शुरू करें तो वो हमेशा लाभप्रद होता है
-वाहन, आभूषण और अन्य सामान खरीदना शुभ रहता है
-भगवान शिव की पूजा का कई गुणा फल मिलता है
-इस दिन विजय की प्रार्थना करके कार्य आगे बढ़ाया जाता है

पूजा सामग्री

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-दशहरा की प्रतिमा
-गऊ का गोबर, चूना
-तिलक, मौली, चावल और फूल
-नवरात्रि के वक्त उगे हुए जौ
-केले, मूली, ग्वारफली, गुड़
-खीर पूरी आपके बहीखाते

पूजा विधि

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-सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें
-गेहूं या चूने से दशहा की प्रतिमा बनाएं
-गऊ गोबर के 9 गोले बनाएं
-गोबर से दो कटोरियां बनाएं। एक कटोरी में कुछ सिक्के रखें दूसरे में रोली, चावल, फल और जौं रखें
-पानी, रोली, चावल , फूल और जौ के साथ पूजा शुरू करें
-प्रतिमा को केले, मूली , ग्वारफली, गुड़ और चावल अर्पित करें
-प्रतिमा को धूप और दीप दें
-बहीखातों को भी फूल, जौ, रोली और चावल चढ़ाएं
-अगर दिवाली के लिये नए खाते मंगवाने हैं तो इसी दिन मंगवाए जाते हैं
-पूजा के बाद गोबर की कटोरी से सिक्के निकाल कर सुरक्षित जगह रख दें
-ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराकर दक्षिणा दें

दशहरा पूजा विधि का वीडियो देखें




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