हम सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़-पौधे एक साथ इस धरती पर रहते हैं। हर कोई एक दूसरे का पूरक है। पृथ्वी एक मां के समान है जो सभी पर एक जैसी दृष्टि रखती है। पृथ्वी के बिना हम जीवन की परिकल्पना भी नहीं कर सकते। पृथ्वी पर ही हमें जीवित रहने के लिए अन्न, जल इत्यादि मिलता है। सौर मंडल के नौ ग्रहों में से, पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन है एवं अखंड जैव विविधता है। लेकिन आज हमारे अंधाधुध पर्यावरण का दोहन करने के कारण पृथ्वी का अस्तिव खतरे में आ गया है। जिसे बचाने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अग्रणी रुप से मनाए जाने वाला पर्यावरण कार्यक्रम है। पृथ्वी दिवस ब्रह्मांड में पृथ्वी की अनूठी जगह का जश्न मनाने का दिन है। पृथ्वी ने ही हमें सब कुछ दिया है उसका शुक्रिया अदा करने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को पृथ्वी को होने वाले नुकसान के प्रति जागरुक करना है, ताकि वो अपने इस ग्रह की रक्षा कर सकें। पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय को दर्शाने के लिये साथ ही पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये 22 अप्रैल को पूरे विश्व भर के लोगों के द्वारा एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में हर साल विश्व पृथ्वी दिवस को मनाया जाता है। पहली बार, इसे 1970 में मनाया गया और उसके बाद से लगभग 192 देशों के द्वारा वैश्विक आधार पर सालाना इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। पृथ्वी दिवस पर हर साल एक नए विषय को केन्द्रिंत कर के इसका आयोजन किया जाता है। वर्ष 2018 का विषय था ‘पृथ्वी को प्लास्टिक के प्रदूषण’ से बचाओ। इसका मकसद प्लास्टिक से हो रही पृथ्वी को हानि से बचाने के लिए लोगों को जागरुक करना था।
![विश्व पृथ्वी दिवस विश्व पृथ्वी दिवस](/images/World-Earth-Day-2018_5adc229f98483.jpg)
पृथ्वी दिवस मनाने का इतिहास
पृथ्वी दिवस मनाने का इतिहास यह है कि पृथ्वी पर अस्तित्व के प्रति सम्मान, उसे बचाने और मिट्टी, वायु और पानी के प्रदूषण पर बढ़ती चिंता को उजागर करने के उद्देश्य से इसका आयोजन किया गया था। लगभग 140 देशों में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। यह दिन बाहरी प्रदर्शन, प्रदर्शन, सड़क मेले, स्कीट और टेलीविजन कार्यक्रमों द्वारा मनाया जाता है जो पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित हैं। हर साल 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस (अर्थ डे) की शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी को देखने के बाद वे इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर इसकी शुरुआत करने का फैसला किया। 1970 से 1990 तक यह पूरे विश्व में फैल गया और 1990 से इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे हर साल अरबों लोग मनाते हैं और यह शायद उन कार्यक्रमों में से एक है जिसे सर्वाधिक तौर पर मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस ने आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत को चिन्हित किया। लगभग 20 लाख अमेरिकी लोगों ने एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ भाग लिया। हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। हायेज और उनके पुराने स्टाफ ने बड़े पैमाने पर तट से तट तक रैली का आयोजन किया.हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। 200 मिलियन लोगों का 141 देशों में आगमन और विश्व स्तर पर पर्यावरण के मुद्दों को उठा कर, पृथ्वी दिवस ने 1990 में 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पुनः चक्रीकरण के प्रयासों को उत्साहित किया और रियो डी जेनेरियो में 1992 के संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मलेन के लिए मार्ग बनाया। पृथ्वी दिवस अमेरिका और दुनिया में लोकप्रिय साबित हुआ। 1990 में 22 अप्रैल के दिन पूरी दुनिया में पुनः चक्रीकरण के प्रयासों की सराहना की गई। पृथ्वी दिवस के माध्यम से कार्यकर्ता राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में हुए बदलावों को आपस में जोड़ सकते हैं।
22 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस
22 अप्रैल को ही पृथ्वी दिवस मनाने के पीछे तथ्य यहा है कि सीनेटर नेल्सन ने ऐसी तारीख को चुना, जो कॉलेज कैंपस में पर्यावरण शिक्षण की भागीदारी को अधिकतम कर सके। क्योंकि इस समय स्कूल-कॉलेज बंद होते हैं। वंसत का महीना होता है। कोई और धार्मिक या सरकारी छुट्टी नहीं होती। इसलिए उन्हें यह दिन सर्वोत्तम लगा क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने काम से फुर्सत लेकर इस दिन का जश्न मना सकते है। इसलिए उन्हें पृथ्वी दिवस के लिए 19-25 अप्रैल तक का सप्ताह सर्वोत्तम लगा और अंत में 22 अप्रैल के दिन को सुनिश्चित किया गया। संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को हर साल मार्च एक्विनोक्स (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह अक्सर 20 मार्च होता है। भारत में, ग्रीन जनरेशन अभियान पृथ्वी दिवस पर शुरू हुआ जो वैश्विक स्तर पर कार्रवाई और नागरिक भागीदारी पर जोर देता है, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के आधार पर कार्बन मुक्त भविष्य बनाया जा सके जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को समाप्त कर देगा। यह जिम्मेदार, टिकाऊ खपत और एक नई हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए व्यक्ति की प्रतिबद्धता पर भी केंद्रित है।
पृथ्वी दिवस का महत्व
वनस्पतियों और जीवों को ढालने और पूरी दुनिया, गंदगी मुक्त करने के प्रयासों के लिए पृथ्वी दिवस समारोह मनाया जाता हैं। पृथ्वी दिवस हमें पृथ्वी पर अन्य जीवित प्राणियों के प्रति हमारा कर्तव्य की याद दिलाता है क्योंकि केवल हम ही इस धरती पर जीवित नही रहे हैं। यह धरती सभी की है किन्तु हमारी महत्वकांक्षा के कारण आज अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहें है। जंगलों को समाप्त किया जा रहा है जिससे कई जीव-जंतु, पक्षियों का बसेरा छूट गया है और वो लुप्त होते जा रहे हैं। हमारी आगे बढ़ने की लालसा के कारण औधोगिक क्षेत्रों के कारण प्रदूषण, गन्दा पानी, विषेले पदार्थ, हानिकारक कैमिकल इत्यादि वायु और नदी समुद्र में मिलकर उन्हें दूषित़ कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी बिल्डिगों को बनाने की चाहत में स्वच्छ हवा देने वाले पेड़-पौधों की कटाई की जा रही है जो प्रकृति का दोहन है। इस धरती पर जीवित रहने का सभी को अपना-अपना हक है किन्तु हम एक दूसरे का हक छिनने की कोशिश में लगे है। इसलिए पृथ्वी दिवस के माध्यम से लोगों में यह जागरुकता फैलाई जाती है कि वो अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझे। पृथ्वी के प्रति भी हमारे बहुत कर्तव्य है। पर्यावरण, खनिज, जीव-जंतुओ का हम हानि ना पहुंचाए। प्राकृतिक संसाधनो का दोहन ना करे इसलिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी के प्रति भी हमारा कर्तव्य है उसकी रक्षा करना, उसका संरक्षण करना। पृथ्वी दिवस का मूल उद्देश्य ही यही है कि पृथ्वी को प्रदूषण से होने वाले खतरे से बचा सकें और उसका सम्मान कर सकें।
पृथ्वी दिवस के कार्यक्रम
दुनिया भर में पृथ्वी दिवस के अवसर पर विभन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोगों को पृथ्वी पर हो रहे नुकसान के प्रति जागरुक किया जाता है। इस दिन लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय मुद्दों, औद्योगिकीकरण, वन कटाई आदि पर आधारित भूमिका प्रदर्शित करने के लिये सड़क, पार्क और ऑडिटोरियम में कार्यक्रम आयोजित करते हैं। पृथ्वी से जुड़े बढ़ते पर्यावरणीय ह्रास के मुद्दों के विरोध में हजारों कॉलेज, विश्वविद्यालयों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों से विद्यार्थी सक्रियता से भाग लेते हैं जैसे दिनों-दिन पर्यावरणीय ह्रास, वायु और जल प्रदूषण, ओजोन परत में कमी आना, औद्योगिकीकरण, वन-कटाई आदि से तेलों का फैल जाना, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरी को तैयार करना, पावर प्लॉन्ट, कीटनाशक का उत्पादन और इस्तेमाल आदि से बचाना। बहुत से देशों की सरकारों के द्वारा भी विभिन्न कानूनी नियमों को लागू करने के द्वारा पृथ्वी की सुरक्षा की ओर कई कदम उठाये गए हैं। कई सगोष्ठियां, चर्चाएं इस दिन आयोजित की जाती हैं। इस दिन लोग कई कार्य करते हैं जैसे नये पेड़-पौधों को लगाना, पौधा रोपण, सड़क के किनारे का कचरा उठाना, गंदगियों का पुर्नचक्रण करना, ऊर्जा संरक्षण आदि। लोगों को जागरुक करने के लिये वास्तविक पर्यावरणीय मुद्दों के साथ निपटने के लिये इस दिन सभी टीवी चैनल इससे संबंधित कार्यक्रम दिखाते हैं। रेडियो, समाचार पत्रों के माध्यम से जागरुकता भरे कार्यक्रम चलाए जाते हें। पृथ्वी को हो रही हानि के बारे में बताया जाता है। लोग जो इस कार्यक्रम को मनाने में भाग लेते हैं, जानवरों और पौधे के जीवन को इंगित करने के लिये हरे और नीले रंग का इस्तेमाल पृथ्वी ग्रह को बनाने में करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बना कर, कविताओं इत्यादि के जरिए पर्यावरण और पृथ्वी के महत्व को इंगित करते हैं। बड़ी-बड़ी नामचीन हस्तियों के द्वारा भी पर्यावरण और पृथ्वी को बचाने का संदेश फैलाया जाता है। जिसका यह मकसद है कि पृथ्वी की रक्षा की जा सके।