हाथ में लाठी, तन पर धोती, आंखों पर चशमा, सरपट सरपट चलते जाते, कुछ ऐसा ही व्यक्तित्व था हमारे देश के “बापू” यानि महात्मा गांधी जी का। जब भी देश की आजादी और स्वतंत्रता संग्राम की बात आती है तो सबसे पहला नाम महात्मा गांधी का ही आता है। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था और  उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। 2 अक्टूबर को उनके जन्मदिवस पर अब विश्व में “अहिंसा दिवस” मनाया जाता है। गांधी जी को महात्मा की उपाधी रविंद्रनाथ टौगोर ने दी थी। महात्मा दो शब्दों से मिलकर बना है, महा- महान और आत्मा, मतलब महान आत्मा।
गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे, उन्होंने उम्र भर हिंसा से भरा कोई काम ना किया और ना ही करने दिया। उनके हथियार सत्य और अहिंसा थे। वो जो कुछ कहते थे, या लिखते थे उसे अमल में भी लाते थे। गांधी जी ने एक लाठी तक नहीं उठाई और अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ दिया। गांधी जयंती तीन राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक है (गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती)। इस वर्ष गांधी जयंती बहुत खास है। इस वर्ष गांधी जी के जन्म के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं जिसके उपलक्ष्य में यह बेहद खास दिन बन गया है। 
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शुरुआती जीवन

गांधी जी के पिता का काफी रुतबा था और माता धार्मिक विचारों की महिला थीं। 13 साल की उम्र में उनका विवाह कर दिया गया। शुरूआती पढ़ाई स्थानीय स्कूलों में हुई, लेकिन बाद में वो कानून पढ़ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन चले गए। इंग्लैंड में रहते हुए भी उन्होंने मांस नहीं खाया और शाकाहारी जीवन अपना लिया। बाद में उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता ले ली। फिर  वो वकालत करने साउथ अफ्रीका चले गए।

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दक्षिण अफ्रीका में इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा और यहीं से उन्होंने आंदोलन की राह पकड़ ली। साउथ अफ्रीका में न्याय करवाने के बाद वो भारत पहुंचे तो यहां पर अंग्रोजों का दमन चरम सीमा पर था। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को एक जुट किया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

साल 1920 में गांधीजी ने कांग्रेस का नेतृत्व किया और 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की आजादी की घोषणा की। अंग्रेजों ने घोषणा को स्वीकार नहीं किया लेकिन 1930 के उत्तरार्ध में कांग्रेस ने प्रांतीय सरकार में भूमिका निभाई, साथ ही बातचीत शुरू हुई। गांधी और कांग्रेस ने राज का समर्थन वापस ले लिया जब वाइसरॉय ने परामर्श से सितंबर 1939 में जर्मनी के साथ युद्ध की घोषणा की।
1918 में गांधीजी की पहली बड़ी उपलब्धियां बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन के साथ हुई ।बाद में एक के बाद एक कई आंदोलन छेड़े गए और कई बार उन्हें जेल जाना पड़ा, लेकिन गांधी जी ने हार नहीं मानी अंत में 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़ के जाना ही पड़ा।

अंत समय

३० जनवरी, 1948, गांधी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे नई दिल्ली के बिरला हाउस के मैदान में चहलकदमी कर रहे थे। गांधी जी को गोली नाथूराम गोडसे ने मारी थी जिन्हें गांधी का पाकिस्तान को भुगतान करना सही नहीं लगा था। बाद में नाथूराम को फांसी दे दी गई थी। महात्मा गांधी ने मरते वक्त उनके मुख् से “हे राम” निकला था जो कि उनके स्मारक पर लिखा हुआ है।
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