गणेश भगवान सब शुभ करने वाले हैं। हर कार्य को श्रीगणेश करते हुए उनके आशीर्वाद के साथ शुरू किया जाए तो उस काम में तरक्की ही तरक्की मिलती है। गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं। उनको लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।

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गणेश जी का जन्म

हिंदू मान्यता के अनुसार एक बार मां पार्वती नहाने जा रही थीं। वो चाहती थीं कि कोई बाहर खड़ा रहकर दरवाजे पर सुरक्षा करे। तब मां पार्वती ने नहाते वक्त अपनी मैल और मिट्टी से एक प्रतिमा बनाई। इस प्रतिमा को दरवाजे के बाहर सुरक्षा के लिये तैनात किया। ये प्रतिमा उनका पुत्र यानि मानस पुत्र कहलाई। जब भगवान शिव वहां पहुंचे और अंदर जाने लगे तो प्रतिमा ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में मां पार्वती बाहर आईं और उन्हें सारी बात बताई। शिव भगवान को अपनी ग़लती का अहसास हुआ। अगर ये मां पार्वती का मानस पुत्र है तो वो उनका भी पुत्र हुआ। ऐसा सोच कर शिव भगवान ने अपने गणों को आदेश दिया कि धरती लोक पर जाएं और सबसे पहली जो भी जिंदा चीज मिलती है उसका सिर ले आएं। गणों को एक हाथी का बच्चा मिला और वो उसका सिर ले आए। शिव भगवान ने हाथी का सिर धड़ पर लगा कर उसे फिर से ज़िदा कर दिया। उन्हें नाम दिया गया गजानन। "गज" का मतलब "हाथी" और "अनन" का मतलब "सिर"। बाद में भगवान शिव ने गजानन को अपनी सेनाओं का मुखिया बना दिया, जिसकी वजह से उनका नाम गणेश पड़ा। "गण" का मतलब "शिव भगवान की फौज" और "ईश" का मतलब "भगवान"।

व्रत कथा

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एक बार देवताओं के उपर परेशानी आ गई। सभी मिलकर भगवान शिव के पास गए। शिव भगवान ने अपने दोनो पुत्रों कार्तिकेय और गणेशजी से पूछा कि तुममें से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा।
तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। तब गणेशजी ने कहा - माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।   यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा।

गणेश चतुर्थी कथा का वीडियो



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