
चांद को श्राप की कथा
हिंदू मान्यता के मुताबिक चंद्रमा को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था। एक बार गणेशजी जा रहे थे तो चंद्रमा ने उन पर तन्ज कसते हुए कहा कि “लंबा पेट है, हाथी का सिर है”। इस पर गणेश जी को चांद पर बहुत गुस्सा आ गया। उन्हें लगा कि चांद को जब तक कोई सजा नहीं मिलेगी इसका घमंड यूं ही बढ़ता रहेगा। इसलिये इसे सजा देना जरूरी है। तब गणशे जी ने चांद को श्राप देते हुए कहा कि तुम अपनी रोशनी और अपना तेज खो दोगे। श्राप मिलने के तुरंत बाद ही चांद काला हो गया। उसे गलती का एहसास हुआ और गणपति जी से माफी मांगी। भगवान गणेश ने उसे माफ करते हुए कहा कि मैं श्राप तो वापस नहीं ले सकता पर तुम्हारा प्रकाश महीने में 15 दिन घटेगा और एक दिन पूरा समाप्त हो जाएगा तथा अगले दिन से फिर से बढना शुरू होगा जो अगले 15 दिनों तक बढकर अन्त में पूर्ण प्रकाश को प्राप्त करेगा , लेकिन आज का यह दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा।वहीं अन्य कथा के मुताबिक एक बार गणेश जी अपनी सवारी यानि चूहे पर सवार होकर जंगल जा रहे थे। चूहा काफी तेज भागता हुआ जा रहा था। रास्ते में एक सांप आया तो चूहा एकदम से रुक गया। जिससे गणेशजी नीचे गिर गए। ये देखकर चांद हंसने लगा। चांद की इस हरकत पर गणेश जी को गुस्सा आया और उन्होंने उसे श्राप दे दिया।

चांद देखने पर उपाय
माना जाता है कि चांद देखने पर झूठी चोरी का आरोप लगता है। भगवान श्रीकृष्ण पर भी झूठा मणि चुराने का आरोप लगा चुका है। अगर भूले से आपने चांद देख लिया हो तो कुछ उपाय हैं जिन्हें करने से आरोप से बचा जा सकता है।यदि गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन हो जाएं तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए-*
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
एक और अाम धारणा है कि रात को किसी अनजान के घर पत्थर फेंक दो। अगर उन्होने बाहर आकर आपको अपशब्द बोले तो आपका कलंक दूर हो जाएगा।गणेश चतुर्थी पर चांद के श्राप को वीडियो में देखें
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