सामग्री
2 गन्ने, बताशे, चावल, मिट्टी का दीया, गाय का गोबर, दही, लड्डू और पेड़ा, एक चांदी का सिक्का, बिना उबला हुआ दूध।पूजा विधि
-सुबह जल्दी उठें और शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करें- घर के आंगन मेंं गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं
-ये मंत्र पढ़ें
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
- पर्वत के पास भगवान कृष्ण की प्रतिमा रखें- अब 56 भोग लगाएं
- पूजा पाठ करके कथा करें
- सबको प्रसाद बांट दें
गोवर्धन कथा
जब साहूकार की पुत्री वापस जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने उसे कहा कि, क्या वो उसे अपने घर नहीं बुलाएंगी। साहूकार की पुत्री ने सारी बात अपने पिता को बताई और उदास होकर बोली कि पिताजी हम इतना सब खर्च कैसे करेंगे। साहूकार ने पुत्री को कहा कि वो उदास मत हो। गाय के गोबर का चौका बनाओ और घर के कोने पर एक दीया जलाओ। दीये के पास एक लड्डू रखे दो, फिर मां लक्ष्मी का नाम लेते रहो। साहूकार की पुत्री ने वैसे ही किया। थोड़ी देर बाद एक गरुड़ आया। गरुड़ की चोंच में हीरों का हार था। उसने वहां आते ही हार फेंका और लड्डू उठा कर चला गया। साहूकार की पुत्री ने वो हार बेचा और उसके पैसों से सारे सोने चांदी के बर्तने खरीदे। बाद में लक्ष्मी जी को बुलाकर उनका अच्छे से सत्कार किया। लक्ष्मी मां इससे बहुत खुश हुईं। थोड़ी देर बात साहूकार की पुत्री ने मां लक्ष्मी को उनके घर में बैठ कर उसका इंतजार करने को कहा और वो खुद बाहर चली गईं। लक्ष्मी मां के घर में बैठने से साहूकार के घर हमेशा धन धान्य की बढ़ौतरी होती रही। कथा के अंत में यही प्रार्थना की जाती है कि मां लक्ष्मी जिस तरह आपने साहूकार के घर में अपना वास रखा है, उसी तरह हमारे घर भी रखो।
गोवर्धन पूजा विधि
To read this article in English, click here