जीवन
श्री गुरु राम दास जी का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ। बाल्यकाल में ही उनके माता पिता की मृत्यु हो गई। राम दास जी उबले चने बेच कर गुजर बसर करने लगे। बाद में ये अपनी नानी के घर गए और वहां इनकी मुलाकात श्री गुरु अमर दास साहिब जी से हुई। गुरु अमर दास जी का इनसे काफी लगाव हो गया। गुरु राम दास जी सुबह चने बेचते और शाम को गुरु अमर दास जी के धार्मिक सत्संगों में भाग लेते। उन्होंने गोइन्दवाल साहिब को बनाने में काफी सेवा की। धीरे धीरे गुरु राम दास जी गुरु अमरदास जी के प्रिय शिष्य बन गए। गुरु राम दास जी का विवाह गुरु अमरदास जी की पुत्री से हो गया। उनके यहां तीन पुत्र हुए, जिनमें से आगे चलकर गुरु अरजन साहिब जी ने गद्दी संभाली। गुरु राम दास जी ने धार्मिक प्रवासों पर गुरु अमरदास जी के साथ जाना शुरू कर के जीवन गुरु की सेवा में लगा दिया। गुरु राम दास अपनी भक्ति और सेवा के लिये जानने जाने लगे थे। उन्हें गुरु बनने के योग्य समझा गया और उन्हें गुरु बनाया गया। उन्हें चतुर्थ नानक के रुप में स्थापित किया गया।अमृतसर की रचना
श्री गुरु राम दास जी ने रामदासपुर को बनाया जो कि अमृतसर कहलाया जाता है। उन्होंने ही अमृतसर सरोवर खुदवाया। जल्द ही रामदासपुर व्यापार का केंद्र बन गया और यह सामरिक दृष्टी से मशहूर हो गया। यह कदम सिख धर्म की स्थापना में मील का पत्थर साबित हुआTo read this article in English click here