सिख या सरदारों की क़ौम को सबसे जिंदादिल क़ौम कहां जाता है | दरअसल सिख शब्द शिष्य शब्द का अपभ्रंश है | गुरुनानक
देव द्वारा स्थपित किया गया, यह संप्रदाय आगे चलकर सिख संप्रदाय कहा जाने लगा| गुरुनानक जी के बाद सिखधर्म के 9 गुरु और हुए, जिन्होंनें गुरुनानक जी के बाद सिखधर्म का प्रचार-प्रसार किया | सिख धर्म के दसवें गुरु "गोबिंद सिंह" इस संप्रदाय के अंतिम गुरु हुए |
जन्म और कथा
श्री गुरु गोबिंद सिंह सिखों के नौवें गुरु "गुरु तेगबहादुर" और "माता गुजरी" के पुत्र थे| 1666 ई. में बिहार की राजधानी पटना में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था | गुरुगोविंद के पिता गुरु तेगबहादुर सिख संप्रदाय के नौवें गुरु के रूप में गुरुगददी सँभालने के बाद आनंदपूर में एक नये शहर की स्थापना करके गुरुनानक की तरह देश भ्रमण में निकल गये | इसी भ्रमण में उन्हें आसाम जाना पड़ा | वहाँ पहुँचने के बीच रास्तों में, वह कई स्थानों से होते हुए गुज़रें और हर जगह सिख संगत स्थापित किया | अमृतसर से आठ सौ किलोमीटर दूर गंगा नदी के किनारे बसे पटना शहर में सिख संगत स्थापित करने के बाद उन्हें लोगों से इतना स्नेह मिला कि,वहाँ के लोगों के आग्रह पर वह अपने परिवार समेत कई दिनों तक पटना में रहें | पटना मे रहते हुए उनकी पत्नी माता गुजरी ने एक बालक को जन्म दिया, जो आगे चलकर सिखों के दसवें गुरु "गुरु गोबिंद सिंह" कहलाये |
श्री गुरु गोबिंद के जन्म के समय करनाल शहर में एक मुसलमान फकीर हुआ करता था| वह तप और साधना से इतना पवित्र हो चुका था कि, उसमे से परमात्मा की रोशनी प्रदत होती थी| श्री गुरु गोबिंद के जन्म के समय वह फकीर समाधि में बैठे हुए थे, उसी अवस्था में उन्हें प्रकाश की एक किरण दिखाई दी, जिसमे एक नवजात बच्चे का प्रतिबिंब दिखा, जिसे देखकर वह समझ गये थे कि, श्री गोबिंद इस दुनिया में ईश्वर के प्रतीक के रूप मे आए है |
खालसा पंथ की स्थापना
खालसा का अर्थ होता है पवित्रता | श्री गुरु गोबिंद सिंह ही सिख धर्म में ख़ालसा फौज की स्थापना की थी| उनका मत था कि एक पवित्र फौज ही मानवता की रक्षा कर सकती है | कहा जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंहएक विलक्षण क्रांतिकारी थे, वह एक महान योद्धा होने के साथ एक धर्म प्रचारक, एक मार्गदर्शक और वीररस ओजस्वी कवि भी थे | उन्होनें मानवता को अपने विचारों मे प्रमुखता दी थी | ख़ालसा फौज की स्थापना करने के बाद इसी पंथ के लोगों के उपनाम में "सिंह" लगाने की शुरुआत हुई थी |
कैसे मनाया जाता है ?
श्री गुरु गोबिंद सिंह जयंती के दिन ख़ालसा पंथ के लोग सुबह जल्दी उठकर प्रभातफेरी निकालते है | घरों और गुरुद्वारों में गुरु गोविंद जी की झाँकियाँ सजाई जाती है | लोग इस दिन गुरुद्वारें आकर गुरुग्रंथ के सामने माथा टेकते है | इस दिन गुरुद्वारें मे बना भोज जिसे "लंगर" कहाँ जाता है, को प्रसाद के रूप में हर एक व्यक्ति ग्रहण करता है |
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