भारत में ऐसे कई त्योहार हैं जो कि विशेष रूप से महिलाओं के लिये हैं। हरियाली तीज भी उनमें से एक है। जैसा कि इसके नाम में ही हरियाली है। ये पर्व उस वक्त आता है जब मानसून अपने पूरे दमखम के साथ धरती को हरा भरा कर चुका होता है। सावन का महत्व हर महिला के जीवन में काफी अहम होता है। इस बार हरियाली तीज सावन के दौरान 19 अगस्त, शनिवार को मनाई जा रही है। सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के रुप में मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियों के लिए यह पर्व काफी मायने रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। रिमझिम फुहारों के बीच तन-मन जैसे नृत्य करने लगता है। महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।

ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई। इस दिन जो सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है।इस तीज को कुछ स्थानों पर कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस तीज से एक दिन पहले नवविवाहित कन्याओं के लिए उनके सुसराल से श्रृंगार सामग्री आती है। महिलाएं इन्हीं से अपना श्रृंगार करके देवी पार्वती की और भगवान शिव की पूजा करती हैं।वजह से लोग इसे एक ही दिन मनाते हैं। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं और नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। पहले के वक्त में ये त्योहार तीन दिन तक मनाया जाता था, लेकिन अब वक्त की कमी के मद्देनज़र एक दिन में ही सिमट कर रह गया है
हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान तथा मिठाइयां ससुराल में भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं प्रातः गृह कार्य व स्नान आदि के बाद सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा देवी पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा होती है।
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं माता पार्वती से पति के लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन झूला -झूलने का भी रिवाज है।
हरियाली तीज से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। अच्छे वर की मनोकामना से इस दिन अविवाहित कन्याएं भी व्रत रखती हैं। कई जगह इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी की यात्रा भी निकाली जाती है।