भारत देश के लिये सबसे पहले झंडे की बात 1921 में आई। इंडे को बनाने का ठाना गया। तो पिंगली वेंकैया ने इसे डिजाइन किया। इसमें तीन रंग थे और एक अशोक चक्र। पहले इसमें चरखा होता था।
आइये जानते हैं कि कैसे-कैसे ये झंडा बदला
पहला झंडा
सबसे पहले जो झंडा तैयार किया गया उसमें तीन रंग की पट्टियां थीं। सबसे ऊपर वाली पट्टी हरे रंग की थी जिसमें कि कमल के फूल लगे थे। बीच वाली पट्टी पीले रंग की थी जिस पर वंदे मातरम हिंदी में लिखा हुआ था। तीसरी पट्टी थी लाल रंग की और उस पर सूर्य-चंद्र बने हुए थे। ये झंडा पहली बार 1906 को कलकत्ता में फहराया गया था।
दूसरा झंडा
दूसरा झंडा जो बना वो पहले कि तरह ही था बस उसमें उपर की पट्टी पर कमल हटाकर उस पर सितारे बना दिये गए और रंग केसरिया कर दिया गया। इस झंडे को 1907 में पैरिस में फहराया गया।
तीसरा झंडा
तीसरा झंडा बिलकुल ही अलग था। 1917 को इसे फहराया गया था। इसमें पांच लाल और चार हरी पट्टियां थीं। सात सितार स्पतऋषि की तरह बनाए गए थे।एक कोने पर ब्रिटेन का झंडा भी था।
चौथा झंडा
चौथा डिजाइन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में लहराया गया। इस झंडे में दो रंग थे, एक लाल और दूसरा हरा। जो कि हिंदू और मुस्लिमों को दर्शाती थी झंडे में चरखे का निशान भी था।
पांचवां झंडा
1931 में तिरंगे को आज के दौर के तीन रंग दिये गए। पहला केसरिया था, दूसरा सफेद और तीसरा हरा। बीच में चरखा होता था।
तिंरगा झंडा
तिरंगे को अंतिम प्रारूप मिला 22 जुलाई 1947 को। तीनो रंग वही थे बस चरखे की जगह अशोक स्तंभ ने ले ली थी।
झंडा फहराने के नियम
पहले देश में हर कोई झंडा नहीं फहरा सकता था। सिर्फ विशेष जगह और विशेष दिन पर ही तिरंगा लहराया जाता था, लेकिन बाद में एक पिटीशन के बाद मंत्रिमंडल ने नियमों मे बदलाव किया। आज हर कोई झंडा फहरा सकता है। पर झंडे का सम्मान और गरिमा का ख्याल रखना पड़ता है।
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