भारत के राष्ट्रीय प्रतीक बड़े ही ध्यान से चुने गए हैं। हर प्रतीक के पीछे एक कहानी और इतिहास है। चलिये जानते हैं इस प्रतीकों के बारे में
राष्ट्रीय चिह्न
भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ है। इस चिह्न में चार शेर हैं (2डी पिक्चर में सिर्फ 3 ही दिखाई देते हैं)। सभी शेर एक दूसरे से पीठ सटाकर खड़े हैं। इसके नीचे धर्म चक्र है जिसमें कि एक बैल और घोड़ा है।
सबसे नीचे “सत्यमेव जयते” हिंदी में लिखा हुआ है जिसका मतलब है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है। इस 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय चिह्न घोषित किया गया था।
राष्ट्रीय कैलेंडर
22 मार्च 1957 को भारत का कैलेंडर घोषित किया गया। ये कैलेंडर साका काल का था, जिसमें चैत्र पहला महीना और फागुन अंतिम महीना है। कैलेंडर में 12 महीने हैं और 365 दिन। आज के दौर में जो कैलेंडर है वो अंग्रेजी कैलेंडर के साथ साथ भारतीय कैलेंडर भी है।
राष्ट्रीय पशु
भारत का राष्ट्रीय पशु बंगाल टाइगर यानि बंगाल का बाघ है। इस साल 1973 में राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था। इसका मकसद बाघों की गिरती संख्या को रोकना था। इसके साथ टाइगर, गर्व, शक्ति और ताकत का भी निशान होता है। टाइगर ही भारत की वनभूमि की शक्ति को दर्शाता है।
राष्ट्रीय फूल
भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। कमल को मां लक्ष्मी के साथ जोड़ा जाता है। कमल वैभव और धन का प्रतीक भी है। वहीं कमल का फूल कीचड़ में भी अच्छे से उगता है और सबका मन मोहता है। इसका एक और भी मतलब होता है, कि हम चाहे जिस भी पृष्ठभूमि से हों, लेकिन वर्तमान को कमल की तरह महकाते रहें।
राष्ट्रीय फल
भारत का राष्ट्रीय फल आम है। आम ही सबसे ज्यादा पसंद और खाया जाने वाला फल भी है। कहते हैं कि अकबर को आम इतने पसंद थे कि उन्होंने करीब 1 लाख बूटे दरभंगा में लगवाए थे।
राष्ट्रीय वृक्ष
बरगद का पेड़ भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। बरगद का पेड़ अपने आप में अलग होता है। एक तना और उसके ऊपर सैंकड़ों शाखाएं। इसके और भी कई फायदे होते हैं। बरगद का पेड़ सबको आशियाना देता है। इस पर कई पशु पक्षी अपना घोंसला बनाते हैं।
राष्ट्रीय पक्षी
1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। भारतीय पंरपरा और संस्कृत में मोर को काफी अहम माना जाता है। ये सबसे शुद्ध जानवर होता है। आज भी हम अगर पुराने भवनों या प्राचीन पेंटिंग्स को देखें तो हर जगह आपको मोर दिखेगा। देवताओं के सिर और वस्त्रों पर मोर पंख दिखता है।
To read this in English, click here