प्लासी की लड़ाई(1757-1758)
1857 का विद्रोह
अंग्रेज अपनी सेना बढ़ाए जा रहे थे। सरकारें भी उनकी थीं। सोने के खद्दान भी उनके। जो मन में आता वो करते। लोगों पर कई पाबंदियाँ लगा दी गईं। जिन्होंने विद्रोह किया उन्हें सजा दी गई। फिर 1857 में जो विद्रोह हुआ उसने देश में आजादी पाने के लिये लोगों के दिलों में आग लगा दी। देश में आर्थिक और राजनीतिक तरीक से विद्रोह हो चुके थे, लेकिन इस बार धार्मिक कारण सामने आया। माना जाता है कि उस वक्त एनफील्ड बंदूक होती थी और जो भी सैनिक होते थे उसमें उनको कारतूस मुंह से काट कर डालना पड़ता था। गोलियों पर गाय और सूअर की चर्बी लगाई जाती थी। इसी से विद्रोह बढ़ता गया और अंत में इसने क्रांति का रूप ले लिया। हालांकि अंग्रेज हार नहीं पाए, लेकिन यहां से असली क्रांति शुरू हो गई।बंगाल का विभाजन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में की गई। ये पहली कोई राजनीतिक संस्था थी जो कि पढ़े लिखे भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिये बनाई थी। मुस्लिमों ने इससे दूरी बनाए रखी। देश में हिंदू- मुस्लिमों के बीच टकराव तो पहले ही था, लेकिन अब वो और भी बढ़ने लगा था। बंगाल, जिसका इलाका फ्रांस से बड़ा था उस पर कब्जा तो अंग्रेजों ने कर लिया, लेकिन वो उसे संभाल नहीं पा रहे थे। तब लॉर्ड कर्जन ने बंगाल को विभाजित करने का फैसला किया। जिसमें पूर्वी बंगाल यानि आज का बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल बनाए गए। वहीं विभागत के बाद पूर्वी बंगाल में आल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हो गई, जिसका बस एक ही मकसद था कि मुस्लिमों की आवाज को उपर उठाना।सत्याग्रह की शुरूआत
अंग्रेज लूट लूट कर सोना ब्रिटेन में ले जाते रहे और यहां भारतीय लोग गरीबी में मरते रहे। कई बीमारियां फैल गईं। लोगों के पास काम नहीं था। अमीर और गरीब की खाई बढ़ने लगी। ऐसे में अंग्रेजों के खिलाफ कई लोग खड़े हो गए और उन्हें क्रांतिकारी कहा गया।महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू समेत कई आला नेताओं ने सत्याग्रह शुरू कर दिये। बिहार के चम्पारण में जो सत्याग्रह हुआ उसके बाद अंग्रेज सकते में आ गए और उन्होंने रोलेट एक्ट लगा दिया। इस एक्ट के तहत कोई अगर सरकार के खिलाफ धरना देता है या आवाज उठाता है उसे गिरफ्तार कर दंड दिया जाता। सरकार मीडिया पर रोक लगा सकती थी और जिस पर भी शक हो उसे उठा सकती थी। इस एक्ट के खिलाफ पूरे देश में आग भड़क गई और विरोध होने लगा।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
अंग्रेजों को हर वक्त यही डर रहता था कि भारतीय ना जाने कब आंदोलन कर दें। हर धार्मिक बैठक पर नज़र रखी जाती और युवाओं पर कई नियम थोप दिये जाते। एक बार अमृतसर में बैसाखी के दिन करीब 15000 लोग इकट्ठे हुए। वो जलियांवाला बाग में बैठक कर रहे थे। इस बाग को एक छोटा सा रास्ता जाता था। वहीं से लोग निकलते थे और वहीं से अंदर घुसते थे। इस बैठक का पता जनरल डायर को चल गया। वो अपने सैनिक लेकर आया और पहले तो बाहर जाने वाला रास्ता बंद किया और फिर अंदर बैठे सभी लोगों पर गोलियां चलवा दीं। हजारों लोग मारे गए। बाग के अंदर एक कुआं भी था जो कि लाशों से भर गया। इस कांड के बाद पूरे देश का खून उबल पड़ा और जगह जगह आंदोलन होने लगे। इसी के बाद भारत छोड़ो आंदोलने शुरू हुआ था।भारत छोडो़ आंदोलन
इधर भारत में लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था तो उधर दूसरे विश्व युद्ध के चलते ब्रिटेन कमजोर होता जा रहा था। अंग्रेजों को भारत संभालना मुश्किल होता जा रहा था। मौके की नज़ाकत को देखते हुए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। आखिरकार अंग्रेजों को हार माननी पड़ी और उन्होंने भारत को छोड़ने की ठान ली।स्वतंत्रता का दिन
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