हमेशा ये कहा जाता है कि 1947 में हमने अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाई थी, लेकिन सच तो ये है कि हमने कई सौ सालों की गुलामी से आजादी पाई थी। अंग्रेजों से पहले मुगल, फ्रेंच और ना जाने किस किस के हम गुलाम रहे थे। हमारे गुलाम होने के कई कारण थे। अंग्रेजों ने हम पर राज बड़ी सोची समझी साजिश के तहत किया। पूरी दुनिया को पता था कि इंडिया में बहुत ज्यादा सोना है और उसी सोने को पाने की चाहत सब लोग रखते थे। ब्रिटिश ने एक ट्रेड कंपनी बनाई और उसको नाम दिया इस्ट इंडिया कंपनी। सन 1600 में ये कंपनी भारत में व्यापार करने के मकसद से आई। हम हमेशा मेहमानों का स्वागत करते थे तो सम्मान के साथ उन्हें यहां रखा गया। सबसे पहले वो पानी के रास्त कलकत्ता आए। इन्होंने अपना माल बेचना शुरू किया । और देखते ही देखते ये बहुत ज्यादा अमीर हो गए। इनके हाथ में ताकत आ गई। इन्होंने अब अपनी खुद की सेना और जंगी हथियार इकट्ठे करना शुरू कर दिये और एक दिन इन्होंने राजाओं को कंट्रोल करना शुरू कर दिया।

प्लासी की लड़ाई(1757-1758)




बंगाल के नवाब सिरज-उल-दौला ने अंग्रेजों की इस बड़ती हुई ताकत का विरोध किया। अंग्रेजों ने चाल चली और नवाब के कमांडर को रिश्वत देकर अपने साथ मिला लिया। कमांडर मीर जाफर ने सारे भेद अंग्रेजों को बता दिये और फिर अंग्रेजों ने हमला कर पहले कलकत्ता जीता। पूरे कलकत्ता पर अंग्रेजों का राज हो गया। सिरज-उल-दौला ने हार नहीं मानी और फिर से हमला किया। इस बार जो लड़ाई हुई उसे प्लासी की लड़ाई कहा जाता है। इस लड़ाई के बाद अंग्रजों के कदम इतने पक्के हो गए कि उन्होंने 200 साल तक पूरे भारत पर राज किया।

 

1857 का विद्रोह

अंग्रेज अपनी सेना बढ़ाए जा रहे थे। सरकारें भी उनकी थीं। सोने के खद्दान भी उनके। जो मन में आता वो करते। लोगों पर कई पाबंदियाँ लगा दी गईं। जिन्होंने विद्रोह किया उन्हें सजा दी गई। फिर 1857 में जो विद्रोह हुआ उसने देश में आजादी पाने के लिये लोगों के दिलों में आग लगा दी। देश में आर्थिक और राजनीतिक तरीक से विद्रोह हो चुके थे, लेकिन इस बार धार्मिक कारण सामने आया। माना जाता है कि उस वक्त एनफील्ड बंदूक होती थी और जो भी सैनिक होते थे उसमें उनको कारतूस मुंह से काट कर डालना पड़ता था। गोलियों पर गाय और सूअर की चर्बी लगाई जाती थी। इसी से विद्रोह बढ़ता गया और अंत में इसने क्रांति का रूप ले लिया। हालांकि अंग्रेज हार नहीं पाए, लेकिन यहां से असली क्रांति शुरू हो गई।

बंगाल का विभाजन

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में की गई। ये पहली कोई राजनीतिक संस्था थी जो कि पढ़े लिखे भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिये बनाई थी। मुस्लिमों ने इससे दूरी बनाए रखी। देश में हिंदू- मुस्लिमों के बीच टकराव तो पहले ही था, लेकिन अब वो और भी बढ़ने लगा था। बंगाल, जिसका इलाका फ्रांस से बड़ा था उस पर कब्जा तो अंग्रेजों ने कर लिया, लेकिन वो उसे संभाल नहीं पा रहे थे। तब लॉर्ड कर्जन ने बंगाल को विभाजित करने का फैसला किया। जिसमें पूर्वी बंगाल यानि आज का बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल बनाए गए। वहीं विभागत के बाद पूर्वी बंगाल में आल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हो गई, जिसका बस एक ही मकसद था कि मुस्लिमों की आवाज को उपर उठाना।

सत्याग्रह की शुरूआत

अंग्रेज लूट लूट कर सोना ब्रिटेन में ले जाते रहे और यहां भारतीय लोग गरीबी में मरते रहे। कई बीमारियां फैल गईं। लोगों के पास काम नहीं था। अमीर और गरीब की खाई बढ़ने लगी। ऐसे में अंग्रेजों के खिलाफ कई लोग खड़े हो गए और उन्हें क्रांतिकारी कहा गया।


महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू समेत कई आला नेताओं ने सत्याग्रह शुरू कर दिये। बिहार के चम्पारण में जो सत्याग्रह हुआ उसके बाद अंग्रेज सकते में आ गए और उन्होंने रोलेट एक्ट लगा दिया। इस एक्ट के तहत कोई अगर सरकार के खिलाफ धरना देता है या आवाज उठाता है उसे गिरफ्तार कर दंड दिया जाता। सरकार मीडिया पर रोक लगा सकती थी और जिस पर भी शक हो उसे उठा सकती थी। इस एक्ट के खिलाफ पूरे देश में आग भड़क गई और विरोध होने लगा।

जलियांवाला बाग हत्याकांड

अंग्रेजों को हर वक्त यही डर रहता था कि भारतीय ना जाने कब आंदोलन कर दें। हर धार्मिक बैठक पर नज़र रखी जाती और युवाओं पर कई नियम थोप दिये जाते। एक बार अमृतसर में बैसाखी के दिन करीब 15000 लोग इकट्ठे हुए। वो जलियांवाला बाग में बैठक कर रहे थे। इस बाग को एक छोटा सा रास्ता जाता था। वहीं से लोग निकलते थे और वहीं से अंदर घुसते थे। इस बैठक का पता जनरल डायर को चल गया। वो अपने सैनिक लेकर आया और पहले तो बाहर जाने वाला रास्ता बंद किया और फिर अंदर बैठे सभी लोगों पर गोलियां चलवा दीं। हजारों लोग मारे गए। बाग के अंदर एक कुआं भी था जो कि लाशों से भर गया। इस कांड के बाद पूरे देश का खून उबल पड़ा और जगह जगह आंदोलन होने लगे। इसी के बाद भारत छोड़ो आंदोलने शुरू हुआ था।

भारत छोडो़ आंदोलन

इधर भारत में लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था तो उधर दूसरे विश्व युद्ध के चलते ब्रिटेन कमजोर होता जा रहा था। अंग्रेजों को भारत संभालना मुश्किल होता जा रहा था। मौके की नज़ाकत को देखते हुए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। आखिरकार अंग्रेजों को हार माननी पड़ी और उन्होंने भारत को छोड़ने की ठान ली।

स्वतंत्रता का दिन



देश को आजाद करने का तो फैसला हो गया था, लेकिन हिंदू और मुस्लिमों के बीच तनाव को देखते हुए अंग्रेजों ने मुस्लिमों के लिये अलग देश बनाने का फैसला किया। मुस्लिम लीग ने इसके लिये पूरा जोर लगाया और आजादी से एक दिन पहले पंजाब को तोड़ कर पाकिस्तान बना दिया गया। रात को 12 बजे जब 15 अगस्त हुई तो जवाहर लाल नेहरू ने आजादी का पहला भाषण दिया था।

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October (Ashwin / Karthik)