अगर किसी के परिवार में या पितरों ने कोई पाप किये हैं और उसकी वजह से उन्हें शांति नहीं मिल रही, तो इंदिरा एकादशी उनके लिये बहुत फलदायक है। माना जाता है कि इस दिन अगर सच्चे मन और लग्न से व्रत करें तो पितरों को शांति मिलती है। यही नहीं इस व्रत का फल प्राण त्यागने के बाद भी मिलता है। परलोक जाने के बाद भक्त को कष्ट नहीं होते। यूं तो पूरा साल अलग अलग एकादशी होती हैं, लेकिन इंदिरा एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। 

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व्रत कथा

एक बार इंद्रसेन नाम का राजा था। भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त। पूरे राज्य में धार्मिक कार्य और हवन विधि पूर्वक होते थे। सारी प्रजा खुश थी। एक बार स्वर्ग लोक से नारद मुनि आए। इंद्रसेन ने उनका आदर सत्कार किया और बैठाया। नारद मुनि ने कहा कि आपके यहां सब धार्मिक कार्य सही हो रहे हैं। राजा ने कहा हां सब भगवान कि दया से ठीक है। नारद मुनि ने कहा, लेकिन यमलोक में आपके पिता बहुत दु:खी हैं, क्योंकि उन्हें मोक्ष नहीं मिल रहा। उन्होंने पूर्व जन्म में एकादशी का व्रत भंग किया था। राजा ने पूछा तो इसका क्या उपाय किया जाए। नारद मुनि ने कहा – श्राद्ध पक्ष में ही पितरो को मोक्ष मिलता हैं इसलिए तुम श्राद्ध पक्ष की एकादशी का व्रत करो | इराजा इन्द्रसेन ने व्रत किया और उनके पिताश्री को मोक्ष मिला।

इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि

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-व्रत पिछले दिन से ही शुरू हो जाता है यानि दशमी से ही
-दशमी के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें
-पूरा दिन व्रत रखें
-सुबह पूजा पाठ करें
-दोपहर को नदी में जाएं और स्नान कर के तर्पण करें
-ब्राह्मणों को भोजन कराएं और खुद भी करें
-दूसरे दिन फिर से व्रत रखें
-गाय, कुत्ता और कौए को भोजन दें
-ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और दान करें


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