चीन में हुई शुरुआत
करीब 200 ईसा पूर्व चीन में पतंग का अविष्कार हुआ और वहीं से इसको उड़ाने की तकनीक ईजाद की गई। ह्यून त्सांग ने पतंग उड़ाकर दुशमन की सेना को डराना शुरू किया था। ह्यून त्सांग के सैनिक रात के वक्त पतंग उड़ाया करते थे, जिससे कि दुश्मन सेना बुरा साया समझ कर डर जाती और उसका मनोबल गिर जाता। धीरे धीरे ये फॉर्मूला इतना फेमस हो गया कि कई देश की सेनाओं ने एक दूसरे को संदेश भेजने के लिये शुरू कर दिया। वहीं 100 ईसा पूर्व आते आते सेनाएं दुश्मन के ठिकाने का पता लगाने के लिये पतंग का प्रयोग करते थे।930वीं शताब्दी आते आते पतंग का नामकरण भी हो गया। इसे जापानी भाषा में “शिरोशी” कहा जाता था। “शि” का मतलब होता है पेपर और ”रोशी” का मतलब डोर।
11वीं शताब्दी तक पतंग के साथ साथ मान्यताएं भी जुड़ने लगीं। चीन में ये इतनी मशहूर हो गई कि लोग नौंवे महीने की नौ तारीख को हवा में जरूर पतंग उड़ाते थे। पतंग उड़ाने के पीछे मकसद बुरी आत्माओं को बाहर भगाना होता था।
17वीं शताब्दी तक पतंग पूरी दुनिया में छा गई थी। पतंग को लेकर अलग अलग प्रयोग होने लगे। बेंजामिन फ्रेंकलिन ने पतंग उड़ाकर ही बिजली की खोज की थी।
18वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलियन डिजाइनर लारेंस हरग्रेव ने एक डिब्बे की तरह की पतंग बनाई और उसे अच्छे से उड़ाया। ये आइडिया पूरी दुनिया में छा गया। इसी की तर्ज पर प्लेन बनाने की प्रोत्साहना मिली थी।
18वीं शताब्दी के अंत में ग्राह्म बेल ने छोटी छोटी लकड़ियों से जुड़ी एक टेट्रा पतंग बनाई। ये पतंग अलग अलग डिजाइन की थी और बहुत ही मनमोहक लगती थी।
पतंग कैसे बनाते हैं वीडियो में देखें
To read this article in English, click here