जैसलमेर ऊँट महोत्सवराजस्थान के सबसे बड़े जिले जैसलमेर में होने वाले ऊँटों के मेले को जैसलमेर ऊँट महोत्सव के नाम से जाना जाता है| यहाँ पाई जाने वाली पीली रेत के कारण यह शहर गोल्डन सिटी के नाम से भी प्रसिद्ध है| भारत के सुदूर पश्चिम में स्थित धार के मरुस्थल में जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में 1168 ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल द्वारा की गई थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए 770 वर्ष सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है।

जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई कालों को देखा व सहा है। जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। सल्तनत काल के लगभग 300 वर्ष के इतिहास में गुजरता हुआ यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग 300 वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम रहा। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 16062 वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था।

जैसलमेर ऊँट महोत्सव

डेजर्ट फेस्टिवल जैसलमेर का एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है, जो शहर से 42 किमी दूर स्थित सैम रेत टिब्बा में, फरवरी में आयोजित होता है। पर्यटक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, ऊंट दौड़, पगड़ी बांधने, और सबसे अच्छी मूँछ की प्रतियोगिता का आनंद ले सकते हैं। यह राजस्थान पर्यटन बोर्ड द्वारा आयोजित एक तीन दिवसीय त्योहार है। यह शुरू में राजस्थान की तरफ और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। प्रसिद्ध गेर और आग नर्तकियों के कामुक प्रदर्शन और ऊंट की सवारी यात्रा को यादगार बना सकते हैं। सुबह सोनार दुर्ग से निकलने वाली शोभायात्रा आकर्षण का केन्द्र रहती है, जिसमें बीएसएफ की कैमल माउंटेन बैंड, राजस्थानी वेषभूषा में सजे धजे बांके जवान, मूमल महेन्द्रा की झांकियां तथा लोक कलाकारों के प्रदर्शन ने सैलानियों व स्थानीय लोगों को मंत्रमुग्ध हो जाते है|

पूरे रास्ते में शोभायात्रा का स्वागत किया जाता है और राजस्थानी लोक संगीत की धुनों ने देश विदेश से आए सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है| शोभा यात्रा के पूनम स्टेडियम पहुंचने पर वहां लगे स्टेज पर ढोल पर थाप देकर कलेक्टर मरू महोत्सव का आगाज करते है| यहां मूमल महेन्द्र, मूंछ प्रतियोगिता, देसी विदेशी साफा बांध प्रतियोगिता, मिस मूमल प्रतियोगिता और सबसे प्रतिष्ठित मि. डेजर्ट प्रतियोगिता आयोजित की जाती है| बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने इन रोमांचक प्रतियोगिताओं का जमकर लुत्फ उठाते है| त्योहार स्थल पर पर्यटकों की सुविधा के लिए स्थानीय प्रशासन चिकित्सा वैन, यादगार वस्तुओं की दुकानों, और मोबाइल मनी एक्सचेंजर्स की सुविधाएँ प्रदान करता है।

जैसलमेर कैसे पहुँचे ?

हवाई यात्रा- जैसलमेर से नज़दीकी एयरपोर्ट जोधपुर है जो यहाँ से 294 किलोमीटर की दूरी पर है| विमानतल से टॅक्सी, कॅब, बस आदि से जैसलमेर आसानी से पहुँचा जा सकता है| ट्रेन यात्रा- डब्ल्यूदिल्ली, मुंबई जैसे हर बड़े शहर से सीधी ट्रेन की सुविधा जैसलमेर तक पहुँचने की है| रोड द्वारा- जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग 15 से जुड़ता है| साथ ही दिल्ली और अहमदाबाद से वोल्वो बस की सेवायें भी है जो राजस्थान के अन्य शहरों से जैसलमेर को जोड़ती है|

 

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