यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ! अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !!


“जब जब धर्म का नाश होगा और अधर्म की उत्पत्ति होगी, तब तब मैं इस धरती पर जन्म लूंगा”
श्रीमदभगवद गीता के इस श्लोक के मुताबिक जब जब धरती संकट में आएगी तब तब भगवान इस धरती पर किसी भी रूप में जन्म लेंगे। जब धरती में असुरों का आतंक बढ़ गया। कंस जैसे क्रूर अत्याचारियों का अत्याचार चरम पर आ गया तब श्रीकृष्ण भगवान ने जन्म लिया था। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे, जो कि धरती पर फिर से धर्म को स्थापित करने आए थे। हिंदू गणना के हिसाब से श्रीकृष्ण का जन्म करीब 5 हजार साल पहले हुआ था।

Image result for devaki

कंस के अत्याचार

यदुवंशी कुल के राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव का विवाह भोजवंश के राजा उग्रसेन के भाई देव की पुत्री देवकी से हुआ। शादी के बाद जब वो रथ पर जा रहे थे तो उस रख को देवकी का चचेरा भाई कंस चला रहा था। अचानक आकाशवाणी हुई कि कंस, तुम्हारी बहन देवकी का आठवां बच्चा तुम्हें मारेगा। कंस दुष्ट था तो उसने अपनी बहन और जीजा को जेल में डाल दिया। देवकी के सात पुत्र हुए और सबको कंस मारता चला गया। चमत्कार से सातंवा बच्चा मां देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में चला गया
Image result for kans

कारा गृह में जन्म

जैसी आकाशवाणी हुई थी उसी प्रकार आधी रात को जब घनघोर बारिश हो रही थी तब श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। जन्म लेने के वक्त देवकी जेल में बंद की हुई थीं। ऐसा चमत्कार हुआ कि सभी सैनिक सो गए और कंस को पता नहीं चल पाया कि देवकी को आठवां पुत्र हुआ है। तभी एक आकाशवाणी हुई और वसुदेव को कहा कि इस बच्चे को टोकरी में डाल कर गोकुल ले जाओ और यशोदा के बच्चे से इसे बदल दो। हथकड़ियां और जेल के द्वार खुद ही खुल गए। वसुदेव ने बच्चे को टोकरी में डाला और अंधेरी रात में बारिश के बीच उसे लेकर चल दिये। बीच में यमुना नदी आती थी। नदी पूरे उफान पर थी। वसुदेव रुके नहीं और नदी में आगे बढ़ गए। श्रीकृष्ण पर बारिश ना पड़े इसलिये 2000 मुखों वाला एक नाग उनपर छावं करने आ गया। वसुदेव बढ़ते गए और गोकुल पहुंच कर बच्चा बदल दिया।

Image result for vasudev carries sri krishna

कंस बच्चे को मारने आया

वसुदेव नंद के बच्चे को उठा कर वापस ले आए और जैसे ही वो पहुंचे तो हथकड़ियां खुद लग गईं, जेल के दरवाजे खुद बंद हो गए। सभी सैनिक उठ गए। सैनिकों ने तुरंत कंस को आठवें बच्चे के बारे में बताया। कंस वहां पहुंचा और बच्चे को पटक कर मारने के लिये जैसे ही हाथ उठाया तो बच्चा हवा में उड़ने लगा। बच्चे से योगमाया माता निकलीं और बोलीं कंस, जिसे तू मारना चाह रहा है उसने कहीं और जन्म ले लिया है।

नटखट कृष्ण

उधर गोकुल में यशोदा के लालन पालन में श्रीकृष्ण बड़े होने लगे। उन्होंने बाल्यकाल में कई लीलाएं कीं। गोपियों को बंसुरी की धुन पर मंत्र मुग्ध करना। कई असुरों का वध और गोवर्धन पर्वत को उठाया। कृष्ण की ख्याती दूर दूर तक पहुंच गई।
Image result for krishna

कंस का वध

Image result for krishna kills kans

मथुरा आगमन से पूर्व ही कृष्ण-बलराम का नाम इस भव्य नगरी में प्रसिद्ध हो चुका था।जब वो कंस की नगरी में गए तो  वहां हलचल मच गई। कंस ने अपने पहलवानों को इन दोनो का वध करने के लिये भेजा। पहेल हाथी से कुचलवाने का सोचा गया, लेकिन वो भी इनका कुछ नहीं कर पाया।
अंदर जाकर मलयुद्ध होने लगा। श्रीकृष्ण ने कंस के सभी पहलवानों को धूल चटा दी। बाद में वो कृष्ण ने ऊपर बैठे हुए कंस पर झपटा मारा और उनका भी वध कर दिया।

To read this legend in English click here

Forthcoming Festivals