कथा
कहा जाता है कि एक बार स्वर्ग लोक में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि तीनों में से कौन बड़ा है। इसी बीच ब्रह्मा जी की किसी बात से शिव भगवान क्रोधित हो गए और भैरव को कहा कि ब्रह्मा जी का एक सिर काट लो। भैरव जी ने वैसा ही किया और ब्रह्मा का एक सिर धड़ से अलग कर दिया। भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप चढ़ गया। जिसे उतारने के लिये वो पूरी दुनिया घूमें और अंत में वाराणसी पहुंचे। वाराणसी में भगवान भैरव के कई मंदिर हैं जहां आज भी उनकी पूजा पूरी श्रद्धा के साथ होती है।भैरव पूजा का महत्व
भगवान शिव के रूप काल भैरव की पूजा करके हर तरह की रुकावट और बुरे प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस दिन भगवान भैरव के साथ साथ, शिव और मां पार्वती की भी पूजा होती है। कुत्ता जो कि भैरव जी का वाहन है उनको दूध चढ़ाया जाता है। भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं और रात को जागरण करते हैं। वैष्णों देवी मंदिर के भैरव मंदिर में इस दिन एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें दूर दूर से लोग आते हैं। उज्जैन के भैरव मंदिर में भी कई तरह के पूजा कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और कई श्रद्धालु आकर बाबा की कृपा ग्रहण करते हैं।इस बार भैरव जयंती दिसंबर 27 (शनिवार) को है। भैरों बाबा आप सब पर कृपा बरसाएं। जय भैरों बाबा
काल भैरव पूजा के वीडियो
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