हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मथुरा में कंस मेला लगता है। इस मेले में भगवान श्राकृष्ण के कंस को मारने के दृश्य को दोहराया जाता है। इस दिन ऐसा लगता है मानो मथुरा फिर से उसी युग में चली गई हो। सब लोग पारंपरिक परिधान डालते हैं। हाथों में चमकदार डंडे लिये एक यात्रा निकलती है। नृत्य किये जाते हैं, विजय गीत गाए जाते हैं। जहां तक सुनाई देता है ढोल की थाप पर लोगों के जयकारे ही सुनाई देते हैं। 
 

क्या होता है मेले में?

ये मेला कंस टीले पर लगता है। सभी युवक अपनी अपनी लाठियों को अच्छे से सजा कर कंस टीले तक जाते हैं। आगे आगे कई झांकियां चलती हैं। बची में सुदामा-श्रीकृष्ण मिलाप जैसे कई दृश्यों का नाट्यरुपांतरण किया जाता है। कंस टीले पर कंस का पुतला होता है जिसे मार कर नष्ट किया जाता है। कंस के सिर को कंसखार पर तोड़ा जाता है। इसके बाद सब लोग विश्राम घाट पर आ जाते हैं और भगवान को विश्राम देकर उनका पूजन करते हैं।
Image result for kans mela mathura

कैसे मारा था भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को?

मल्ल युद्ध  के अंदर जब भगवान श्रीकृष्ण ने एक एक करके कंस के सभी पहलवानों को धूल चटा दी तो चारों ओर भगवान श्री कृष्ण और बलराम की जय-जय कार और प्रशंसा होने लगी। इस बात से कंस और चिढ़ गया। कंस ने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि वासुदेव के लड़कों को बाहर निकाल दो, गोपों का सारा धन छीन लो और नंद को बंदी बना लो तथा वासुदेव-देवकी को मार डालो।  उग्रसेन मेरे पिता होने पर भी शत्रुओं से मिले हुए हैं। इसलिए उन्हें भी जीवित मत छोड़ो।

कंस आदेश दे रहा था कि इसी बीच भगवान श्री कृष्ण फुर्ती से उछलकर उसके मंच पर पहुंच गए। कंसभी तलवार लेकर उठ खड़ा हुआ और श्री कृष्ण पर चोट करने के लिए पैंतरा बदलने लगा। श्री कृष्ण ने गरुड़ की तरह कंस को पकड़ कर मुकुट गिरा दिया और फिर बालों से पकड़ कर नीचे पटक दिया। श्री कृष्ण ने उनके उपर छलांग लगाई और उनके कूदते ही कंस की मृत्यु हो गई।

To read this article in English click here

Forthcoming Festivals