भारत विभिन्न धर्मों एवं त्यौहारों का देश है। यहां सभी धर्मों से जुड़े त्यौहार पूरी भव्यता के साथ मनाए जाते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, एवं जैन धर्म इत्यादि से जुड़े सभी त्यौहार, मेले एवं उत्सव मनाए जाते हैं। भारत के प्रत्येक राज्य में आए दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। भारत का दक्षिण राज्य केरल एक और जहां अपनी प्राकृति सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है वहीं केरल अपने त्यौहारों और मेलों के लिए भी प्रसिद्ध है यहां हिन्दू एवं ईसाई धर्म के त्यौहार प्रमुख रुप से मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक कोरट्टी मुठी उत्सव केरल का एक प्रसिद्ध उत्सव है जो ईसाई धर्म को इंगित करता है। कोरट्टी मुठी उत्सव केरल के प्रमुख चर्च कोरट्टी मुठी एस (सेंट मैरी एस) का प्रतिक है वेलाकन्नी चर्च के यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण चर्च एवं तीर्थ स्थल है। यह चर्च केरल के त्रिशूर जिले में कोरट्टी नामक एक सुंदर गांव में स्थित है। इस चर्च के नाम पर ही इस गांव का नाम कोरट्टी पड़ा हैं।

कोरट्टी मुठी उत्सव
कोरट्टी मुठी चर्च में आयोजित यह उत्सव एक वार्षिक उत्सव हैं। यह उत्सव एक माध्यम है भगवान को याद करने का। यह एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है। इस उत्सव को बड़ी संख्या में अनुष्ठानों का आयोजन कर मनाया जाता है। बड़ी संख्या में लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं। यह एक समृद्ध और शानदार समारोह है जिसमें दुनिया भर के हजारों तीर्थयात्रि शामिल होते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं।

यह पर्व हर साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है। यह एक वार्षिक कार्यक्रम है। कोरट्टी मुठी वास्तव में जीजस की मां मैरी को समर्पित त्यौहार है। जो एक कुंवारी मां का प्रतिनिधित्व करती हैं।

कोरट्टी मुठी उत्सव में कई पारंपरिक और परंपरागत अनुष्ठानों के अलावा, कई सांस्कृतिक गतिविधियां और कार्यक्रम हैं आयोजित किए जाते हैं। इस उत्सव में कोई भी भक्त भाग ले सकता है। यह उत्सव विशेष रुप से उन लोगों के लिए हैं जो बीमार है, कमजोर है, परेशान हैं। इन लोगों को इस उत्सव में शामिल कर उनके दुखों का निवारण किया जाता है। इस उत्सव में बच्चे की कामना रखने वाले दंपत्ति एवं माता-पिता भी शामिल होते हैं। मां मैरी निंसंतान दंपतियों की गोद भर देती है। उनके दुखों का निवारण करती हैं।

कोरट्टी मुठी का चर्च अपने भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है और सभी पंथों और जातियों के लोग इस सालाना पर्व मे शामिल होकर इसका जश्न मनाते हैं। यह उत्सव ना केवल एक त्यौहार है बल्कि यह माध्यम है माता मैरी से आशीर्वाद पाने का उनसे प्रार्थना करने का एक जरिया है। भक्त इस पर्व में शामिल होकर माता मैरी से प्रार्थना करते हैं कि उनके दुख,दर्द, तकलीफ समाप्त हो जाएं वो एक सुंदर जीवन जिएं। माता मैरी इस उत्सव के दौरान विशेष रुप से भक्तो की प्रार्थनाएं सुनती है उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती है। जिसके कारण बड़ी संख्या में भक्त मां मैरी के दर्शन करने के लिए उत्साहित होकर इस उत्सव में शामिल होते हैं।

कैसे पहुंचे?

चालककुडी कोच्चि-त्रिशूर मार्ग पर स्थित है।
निकटतम रेलवे स्टेशन: चालककुडी, लगभग 7 किमी दूर।
निकटतम हवाई अड्डा: कोचिन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, चालककुडी से लगभग 24 किमी दूर है।

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