
मध्य प्रदेश उत्सवों का राज्य है। यहां कई उतस्व एवं मेले आयोजित होते हैं। जिनमें से एक लोकरंजन उत्सव है। लोकरंजन मध्य प्रदेश के खजुराहो में आयोजित एक अत्यंत लोकप्रिय आदिवासी नृत्य उत्सव है। महोत्सव का आयोजन आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा किया जाता है। लोकरंजन आमतौर पर हर साल 8 से 12 दिसंबर के दौरान आयोजित किया जाता है। यह नृत्य महोत्सव 4 से 5 दिन के लिए आयोजित किया जाता है। अकादमी मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से महोत्सव का आयोजन करती है। लोकरंजन का त्योहार भारतीय संस्कृति और कला रूपों के संरक्षण के लिए सरकार के उत्कृष्ट प्रयासों का एक उदाहरण है।
फेस्टिवल के दौरान एकल मंच पर अलग-अलग नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। पूरे भारत के कलाकार यहां इकट्ठा होते हैं और सांस्कृतिक जागरूकता का प्रतीक हैं। चंदेल वंश का एक प्राचीन शहर खजुराहो अपनी वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। खजुराहो के स्मारकों को यूनेस्को की विश्व धरोहरों में सूचीबद्ध किया गया है।
भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक, खजुराहो में मध्यकालीन हिंदू और जैन मंदिरों का सबसे बड़ा समूह है, जो अपने कामुक आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष खजुराहो में लोकरंजन नृत्य महोत्सव दिसंबर को मनाया जाएगा।
इस महोत्सव को आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा ही आयोजित किया जाता है. यह उत्सव मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के साथ आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा आयोजित किया जाता है. भारतीय संस्कृति और कला को जिस तरह से आज तक मध्य प्रदेश सरकार ने संजोकर रखा है इसका एक नमूना लोकरंजन महोत्सव में देखने को मिलता है.
खुजराहो अपनी शिल्प कलाओं के लिए पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. यही कारण है कि खुजराहो की इन्ही खूबियों को देखते हुए युनेस्को ने इसे विश्व की धरोहर का खिताब दिया है. खुजराहो भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. यहां हिंदुओं के साथ-साथ जैन मंदिर भी है. ये सभी अपनी मूर्तिकला के कारण विश्वभर में पहचान बनाए हुए हैं.
लोकरंजन महोत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
लोकरंजन महोत्सव के दौरान एक ही मंच से अलग-अलग तरह के नृत्यों को पेश किया जाता है. अलग-अलग प्रांतों के कलाकार यहां आकर अपनी कला और हुनर को दिखाते हैं. ये कलाकार अपनी कला के माध्यम से ना केवल भारतीय कला संस्कृति को बचाए रखने का काम करते हैं बल्कि लोगों लोगों को इस भारतीय संस्कृति के बारे में जागरुक भी करते हैं. विभिन्न राज्यों के नामी-गिरामी कलाकार यहां अपनी प्रस्तुति देखकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर देते हैं. इन कार्यक्रमों को देखकर एक बारगी तो ऐसा लगता है मानो हम लघु भारत में प्रवेश कर चुके हैं.कैसे पहुंचे खजुराहो
हवाईजहाज सेएक दैनिक बोइंग 737 सेवा खजुराहो को दिल्ली, आगरा, वाराणसी और काठमांडू से जोड़ती है।
रेल द्वारा
निकटतम रेल प्रमुख महोबा (64 किमी) और हरपालपुर (94 किमी) हैं। झांसी (175 किमी) और सतना (117 किमी) दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, आगरा और वाराणसी के आगंतुकों के लिए सुविधाजनक रेल प्रमुख हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
खजुराहो महोबा, हरपालपुर, सतना, झांसी, ग्वालियर, आगरा, जबलपुर और भोपाल के साथ नियमित बस सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है।
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