नवाबों का शहर लखनऊ, जो अपनी वेष-भूषा के साथ-साथ अपनी अदब वाली बोली और विभिन्न प्रकार के खान-पान के लिए प्रसिद्ध है। लखनवी कबाब हो या शाही पान लखनऊ का एक अलग ही लहज़ा है। लखनऊ में हमेशा नवाबों का दबदबा रहा है, कई शायरों ने लखनऊ को एक नई दिशा दी है इसलिए इसे नवाबी शहर भी कहा जाता है। लखनऊ की इसी झलक को दिखाने के लिए प्रतिवर्ष लखनऊ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। लखनऊ इस उत्सव के जरिए अपनी इस जीवित संस्कृति का जश्न मनाता है। जो इस शहर के वातावरण को रंगीन कर देती है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया जाता है। यह प्राचीन शहर अवध के रुप में विख्यात है, यह लोगों को लखनऊ के अनजान लालित्य और महिमा से बांधता है। इस उत्सव में रंगीन प्रसंस्करण, पारंपरिक नाटक, कथक नृत्य, कहानी, कई प्रसिद्ध लखनवी घराने, सारंगी और सितार के साथ इस उत्सव में चार चांद लगा देते हैं। इस उत्सव में लोक गीत, गजलें, शायरियां, और लोक नृत्य लोगों के मन को मोह लेती हैं। यह उमंग और तंरगों से भरा एक उत्सव है।

लखनऊ महोत्सव


लखनऊ महोत्सव का इतिहास

लखनऊ महोत्सव एक अनूठा महोत्सव है जो प्रतिवर्ष लखनऊ में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव उत्तर प्रदेश की कला और संस्कृति, को विशेष रुप देकर प्रदर्शित करता है। लखनऊ महोत्सव की शुरुआत सन् 1975-76 में हुई थी। जब दक्षिण एशियाई पर्यटन वर्ष मनाया गया, तब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए लखनऊ की कला, संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने के एकमात्र उद्देश्य से लखनऊ महोत्सव को वार्षिक महोत्सव के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद से ही प्रतिवर्ष लखनऊ महोत्सव का आयोजन बड़ी धूम-धाम के साथ किया जाता है। 11 दिवसीय इस महोत्सव में प्राचीन लखनऊ की अनन्त भव्यता नजर आती है। यह महोत्सव लखनऊ की वर्तमान संस्कृति का जश्न मनाता है।

लखनऊ महोत्सव में क्या है खास

लखनऊ महोत्सव में ना केवल लखनऊ की झलक मिलती है बल्कि, पूरे भारत की संस्कृति यहां विद्धमान रहती है। इस महोत्सव में कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। यहां लखनवी व्यजनों, प्रदर्शनियों के साथ एक्का दौड़, पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता, मुर्गा लड़ाई और अन्य पारंपरिक ग्रामीण खेलों से दर्शकों को रोमांचित किया जाता है। इन खेलों के जरिए लखनऊ में नवाबी रंग फिर से घोला जाता है ताकि लोग यहां की संस्कृति, सभ्यताओं से जुड़े रहें। यहां के नवाबी व्यंजन किसी के भी मुंह में पानी ला सकते हैं। इन सभी के अलग-अलग स्टॉल लगाए जाते हैं। लखनवी वस्त्रों की भी यहां प्रदर्शनियां होती है। लखनऊ की चिकनकारी देश-विदशों में काफी प्रसिद्ध है। यूपी पर्यटन और लखनऊ जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस 12 दिवसीय महोत्सव में कई शिल्पकारों, कलाकारों को अपनी कला को प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होता है। यहां विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों को एक ही मंच पर एक साथ खड़े होने का मौका भी मिलता है। लखनऊ महोत्सव के अंतर्गत प्रतिवर्ष शिल्प मेला आयोजित किया जाता है। इसके साथ-साथ लखनऊ महोत्सव में विभिन्न खाद्य और सामान्य वस्तुओं के स्टॉल भी स्थापित किए जाते हैं। जो इसे लखनवी संस्कृति से संबंधित सभी चीजों को प्राप्त करने के लिए एक आदर्श जगह बनाता है। इसके अलावा महोत्सव की भव्यता को बढ़ाने के लिए, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मशहूर हस्तियों के प्रदर्शन का समारोह आयोजित किया जाता है। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के आधुनिक झूलों की व्यवस्था भी की जाती है जो वयस्क और बच्चों के लिए उचित होते हैं जिससे हर किसी का मनोरंजन भरपूर मात्रा में हो सके।

लखनऊ महोत्सव तक कैसे पहुंचे

लखनऊ महोत्सव के समय उत्तर प्रदेश जाने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि यह धार्मिक त्यौहार और मेले का शानदार अवसर प्रदान करता है। यह रोमांचकारी उत्सव भी है। लखनऊ शहर से निकटतम हवाई अड्डा अमौसी (14 किमी) की दूरी पर है यदि आप हवाई यात्रा नहीं करना चाहते हैं तो कई ट्रेनों और बसों के जरिए भी इस मेले में शामिल हुआ जा सकता है। लखनऊ में गुवाहाटी, वाराणसी, पुरी, कोलकाता, देहरादून, इलाहाबाद और अहमदाबाद जैसी कई सुपर फास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं। लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 24, 25 और 28 के महत्वपूर्ण क्रॉस मार्गों पर है। इसके जरिए भी आप इस उत्सव में शामिल होकर लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा बन सकते हैं।

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Comments  

#1 Shalini 2018-10-08 11:04
Sir
How to participate kathak in Lucknow festival 2019
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