हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के साथ नदियों की भी पूजा की जाती है। उन्हें काफी मान्यताएं दी जाती है। भारतिय पंरपरा में नदियों को बहुत पवित्र माना जाता है और इनमें भी गंगा नदी को मुक्ति दिलाने वाली नदी के रुप में पूजा जाता है। वैसे तो हर पूर्णिमा महत्वपूर्ण होती है लेकिन माघी पूर्णिमा स्नान को हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि सभी देवता माघ मास में गंगा स्नान के लिये पृथ्वी पर आते हैं। मानव रूप में वे पूरे माह भजन-कीर्तन करते हैं। यह देवताओं के स्नान का अंतिम दिन होता है। जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस स्नान के करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, यह एक पूर्णिमा दिवस है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में आता है। यह लगभग अंग्रेज कैलेंडर के अनुसार जनवरी-फरवरी के महीने में होती है। इस महीने में प्रसिद्ध कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन यूं तो किसी भी गंगा में नहाने का फल प्राप्त होता है किन्तु इस दिन इलाहाबाद में त्रिवेणी यानि गंगा, जमुना और सरस्वती के संगम पर नहाने से सीधा मुक्ति मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन ही होली का डंडा गाड़ा जाता है । एक मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन ही जन्म दिया था। इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था। इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है लेकिन यदि कोई पूरे मास स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा होती है।

माघ पूर्णिमा


क्या होती है माघ पूर्णिमा

माघ का महीना सबसे पवित्र महीनों में से एक होता है क्योंकि महीने की शुरुआत में सूर्य अपने उत्तरी कक्ष में आता है। माघ का पूरा महीना नदियों में स्नान करने के लिहाज़ से पवित्र होता है लेकिन इस महीने में गंगा स्नान और त्रिवेणी स्नान की अत्यंत महीमा होती है। माघ पूर्णिमा के दिन को शरद ऋतु समाप्त होने का दिन भी माना जाता है कहा जाता है। माघ के महीने में मेला भी लगता है जिसे माघ मेला कहते हें इसका वार्षिक आयोजन इलाहाबाद के प्रयाग में संगम किनारे होता है। जहां दूर-दूर से तिर्थयात्री संगम स्नान करने आते हैं। लोगों की मान्यता है कि संगम में स्नान करने से सारे दुख-दर्द, संकट पीड़ा खत्म हो जाती है। सभी पापों का नाश हो जाता है।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा को पूरे में देश में 'स्नान त्यौहार' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा-जमुना में डुबकी लगाने से उच्च फल की प्राप्ति होती है। । माघ महीने में हिंदू भक्त हर दिन गंगा या यमुना नदियों में पवित्र स्नान करते हैं। जो लोग इस दिन पवित्र नदी में नहीं नहा सकते हैं वो घर में या पास के किसी नदी, तालाब में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं, उसे भी शुभ माना जाता है। इस दिन, गंगा, जमुना, कावेरी, कृष्ण, तापी आदि जैसे पवित्र नदियों के तट पर कई स्नान त्यौहार आयोजित किए जाते हैं। लोग नदी में एक पवित्र डुबकी लेने के लिए मीलों दूर-दूर से आते हैं। कन्याकुमारी और रामेश्वरम में लोग समुद्र में डुबकी लगाने जाते हैं वहीं राजस्थान के पुष्कर झील में स्नान करने का भी भी उतना ही शुभ फल प्राप्त होता है।

बौद्ध धर्म में भी इस दिन का एक विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने इस दिन अपनी आगामी मौत की घोषणा की थी। बिहार में इस दिन धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। बुद्ध भगवान की प्रार्थनाएं की जाती है।  माघ पूर्णिमा पर, तमिलनाडु के मदुरै में 'फ्लोट' उत्सव मनाया जाता है। इस दिन, भगवान सुंदेश्वर और देवी मीनाक्षी की मूर्तियों और छवियों सजाया जाता है। उन्हें मदुरैम टेप्पकुलम सरोवर ले जाया जाता है जो मदुरै में एक बड़ा पवित्र टैंक है। भक्त जुलूस संगीत के साथ और गीतों का जाप करते हुए जाते है।

माघ पूर्णिमा व्रत-पूजा विधि

माघ पूर्णिमा की पूजा में भगवान विष्णु की पूजा जाती है। पूजा के लिये सामग्री के तौर पर केले के पत्ते, फल, पंचामृत, पान-सुपारी, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा आदि का उपयोग किया जाता है। किसी विद्वान ब्राह्मण से भगवान सत्यनारायण की कथा करवाना भी इस दिन शुभ रहता है। इस दिन, भक्त पूर्वजों के लिए उपवास करते हैं। इस दिन दान करना अधिक लाभकारी माना जाता है वहीं इस दिन गाय दान करने की भी अत्यंत महीमा होती है। लोग गाय दान करते हैं और प्रयाग में हवन करके अपने पापों के लिए क्षमाप्रार्थना करते हैं। जल में डूबकी लगाने के बाद पूर्वजों को देने के लिए लाए गए सामान को गरीबों और ब्राह्मणों को भेंट करना शुभ माना जाता है। प्रत्येक भक्त अपने साधनों और क्षमता के अनुसार दान देता है। भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिंमा के दिन पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और व्यक्ति शुद्ध होकर है मोक्ष प्राप्त करता है। स्नान करने के दौरान 'ओम नमो भागवते वासुदेवया नमः' का जाप किया जाता है।  माघ पूर्णिमा को स्नान का महत्व तो है ही साथ ही इस दिन व्रत उपवास रखने व दान पुण्य करने का महत्व भी है। मान्यता है कि माघी पूर्णिमा का व्रत रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है साथ ही विद्या प्राप्ति के लिये भी माघी पूर्णिमा स्नान शुभ फलदायी माना जाता है

To read English version click here 

Forthcoming Festivals