विभत्स हूँ… विभोर हूँ…मैं समाधी में ही चूर हूँ…घनघोर अँधेरा ओढ़ के…मैं जन जीवन से दूर हूँ… श्मशान में हूँ नाचता…मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ…मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ।

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शिव जो कि सबके कष्ट हरते हैं। वो दुनिया को चलाते हैं और वो ही विनाश करते हैं। हिंदुओं में शिव भगवान का स्थान सबसे ऊपर है। शिव भगवान की पूजा से सबसे जल्दी फल मिलता है। शिव भगवान को तीनो लोकों में पूजा जाता है। राक्षस भी उनको पूजते हैं, धरती वासी भी और देवता भी। शिवरात्रि का मतलब होता है शिव की रात। ये हर साल माघ/फाल्गुन महीने के  कृष्ण पक्ष की 13वीं रात को आती है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। साथ ही शिव भगवान ने समुद्र मंथन से निकले विष को भी अपने कंठ यानि गले में संचित किया था।

शिवरात्रि का दिन

शिवरात्रि का दिन और रात शिव भक्तों के लिये बहुत अहम होती है। दिन भर व्रत रखा जाता है और रात को शिवालय में पूजा अर्चना की जाती है। व्रत में कुछ खास सामग्रियां ही होती हैं जो कि बनाई और खाई जाती हैं। शिव मंदिरों में सुबह से ही भीड़ लग जाती है। हर कोई भगवान पर पानी या दूध लस्सी चढ़ाता है। शिव भगवान को बिल पत्री और केले भी चढ़ाए जाते हैं।  भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर चंदन का टीका पत्थर की शिला पर घिसकर शिवलिंग पर लगाकर अपने माथे पर लगाते हैं। पूरा दिन व्रत करने के बाद रात को सभी भक्तजन मंदिर या घर के मंदिर में इकट्ठा होते हैं। शिव भगवान के भजन गाए जाते हैं। पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है। इस दिन प्रसिद्ध शिव स्थानों में जाकर पूजा करना और शिवलिंग के दर्शन करना भी काफी अहम माना गया है।

व्रत नियम और पूजा विधि

माना जाता है कि इस व्रत करता करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है. व्रत के दिन "ऊं नम: शिवाय" का जाप हर वक्त करते ही रहना चाहिए।

व्रत की सामग्री

व्रत पूजन के लिये जरूरी सामग्री में  पंचामृत (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), फूल, बिल पत्री, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप और ऋतुफल होते हैं।

व्रत की विधि

सुबह जल्दी उठ कर साफ पानी से स्नान करें। भस्म का तिलक लगाकर रुद्राक्ष की माला पहनें। ईशान कोण की ओर शिव का पूजन करें। चार पहर शिव भगवान की पूजा करें। हर पल मुख पर "ऊं नम: शिवाय" का जाप होना चाहिए। व्रत के दौरान रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

शिव भगवान की बारात

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शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का विवाह हुआ था। भगवान शिव की बारात में भूत प्रेत और गण नाचते गाते हुए गए थे। मां गौरा राजा की बेटी थीं और वहां पर भव्य इंतजाम था। इसी दृश्य को एक बार फिर से महाशिवरात्रि के दिन दिखाया जाता है। शहरों में शिव भक्त शिव भगवान की बारात निकालते हैं। आगे आगे शिव भगवान नंदी पर सवार होकर चलते हैं और पीछ पीछे सभी भूत प्रेतों की तरह मेकअप करके चलते हैं। चारों ओर “जय शिव शंकर” के जय जयकारे लगते हैं।

लंगर और सेवा

इस दिन लगभग हर जगह लंगर लगाए जाते हैं और सेवा की जाती है। लंगर में वही चीजें बनती हैं जो कि व्रत के दिन खाने लायक हों। जैसे की साबूदाने की खीर, गाजर का हलवा और फलाहार। हालांकि व्रत के अगले दिन अन्न के लंगर लगते हैं। ये लगंर शिवरात्रि के कई दिन बाद तक चलते रहते हैं।

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Comments  

#1 राजकुमार 2019-02-12 13:59
अच्छा वर्णन है।
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