
महेश जयंती का महत्व
महेश जयंती मनाने के पीछे कई कहानियां छिपी है। खांडेलसेन नाम का एक राजा था, जिसका बच्चा नहीं था। इसलिए उन्होंने भगवान शिव की पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ पूजा की। जिसके बाद भगवान ने उसे सुजानसेन नामक बेटा होने का आशिर्वाद दिया। बाद में वह राज्य का राजा बन गया। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार महेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। एक दिन जब इनके वंशज शिकार पर थे तो इनके शिकार कार्यविधि से ऋषियों के यज्ञ में विघ्न उत्पन्न हो गया। जिस कारण ऋषियों ने इन लोगों को श्राप दे दिया था कि तुम्हारे वंश का पतन हो जायेगा। महेश्वरी समाज इसी श्राप के कारण ग्रसित हो गया था । किन्तु ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान शिव जी की कृपा से उन्हें श्राप से मुक्ति मिल गई तथा शिव जी ने इस समाज को अपना नाम दिया। इसलिए इस दिन से यह समाज महेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान शिव जी की आज्ञानुसार महेश्वरी समाज ने क्षत्रिय कर्म को छोड़कर वैश्य कर्म को अपना लिया। अतः आज भी महेश्वरी समाज वैश्य रूप में पहचाने जाते है।महेश नवमी का जश्न
महेश नवमी मुख्य रूप से हिंदुओं का त्यौहार है और देश के कई हिस्सों में विशेष रूप से राजस्थान में मनाया जाता है। देश के सभी हिस्सों में भक्त इस दिन भगवान महेश और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। मंदिर फूलों से सजाए जाते हैं और पूरे स्थान को पवित्र किया जाता है तथा शांति बनाई जाती है। इस दिन नए विवाहित जोड़ों से विशेष रूप से खुशी और सद्भावना के साथ अपने जीवन में नया चरण शुरू करने के लिए भगवान और देवी पार्वती की पूजा करने के लिए कहा जाता है।महेश जयंती के अनुष्ठान
महेश जंयती पर रात भर विभिन्न यज्ञों और मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैं। भगवान शिव की विशेष झांकी निकाली जाती है। उनकी तस्वीरें लोगों में फैलाई जाती है। भगवान शिव की बड़ी तस्वीरें उनके अनुयायियों के द्वारा विभिन्न घरों में ले जाई जाती हैं। भगवान महेश से प्रार्थनाएं की जाती है। उनकी कहानियां और प्रशंसा सुनाई जाती है। भगवान का अभिषेक किया जाता है और शिव-पार्वती को इस दिन मंदिरों में सुंदर ढंग से सजाया जाता है। जब सड़कों से चित्र वापस आते हैं तब भजन संध्या मंदिर परिसर में होती है और आखिर में सभी भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। किसी भी प्रकार के अनुष्ठान नहीं हैं जो इस दिन ना किए जाते हों। लोग इस उत्सव को भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रति अत्याधिक समर्पण, प्रेम और विश्वास के साथ मनाते हैं। एक विशेष धारणा है कि इस दिन, जो महिलाएं बच्चे की इच्छा रखती हैं तथा शिव से इस दिन विशेष प्रार्थनाएं करतीं हैं उन्हें भगवान शिव आशीर्वाद देते हैं, उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं। केवल मंदिरों में ही इस दिन यज्ञ और प्रार्थना नहीं की जाती अपितु लोग अपने-अपने घरों में भी महेश-पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शिव-पार्वती से सुखी जीवन की प्रार्थनाएं भी करते हैं।महेश नवमी के बारे में अँग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें