नकारात्मक प्रभाव के बाद जब सारी दुनिया पर सूरज की सकारात्मक किरणें गिरने लगती हैं तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण की ओर गति शुरु करता है। मकर संक्रांति धार्मिक दृष्टी से हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। मकर संक्रांति के दिन की कई कथाएं प्रचलित हैं।
महाभारत काल में महत्व
माना जाता है कि महाभारत के महान योद्धा भीष्म। जिन्हें कि भीष्म पितामाह भी कहा जाता है उनके पास एक वरदान था कि वो जब चाहेंगे तभी उनके प्राण जाएंगे। ये वरदान उनकी भीष्म प्रतिज्ञा के बाद उन्हें दिया गया था। कौरवों और पांडवों के युद्ध के दौरान जब उनका शरीर बाणों से छलनी हो चुका था तो वो कई दिन तक वहीं रहे। उस वक्त दक्षिणायन चला हुआ था। जब मकर संक्रांति का दिन आया तो उन्होंने अपने प्राण त्यागे। जिससे कि उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। भगवान कृष्ण ने गीता के आठवें अध्याय में कहा है कि जिस किसी की उत्तरायण के दौरान मृत्यु होती है वह मोक्ष प्राप्त करता है। लेकिन जिनकी मृत्यु दक्षिणायण में होती है, वह जीवन चक्र से बंधा रहता है।
आंध्र प्रदेश का भोगी त्योहार
भोगी त्योहार पोंगल का पहला दिन होता है और यह दिन इंद्र देव की पूजा होती है। माना जाता है कि जब इंद्र देव ने गोकुलधाम में बहुत कहर बरपाया था और श्रीकृष्म भगवान ने गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा लिया था तब इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण से काफी विनती के बाद भगवान ने उनकी भोगी दिवस के दिन पूजा होने का वरदान दिया।
नदीं और शिव भगवान
माना जाता है कि शिव भगवान ने नंदी बैल को कहा कि वो धरती पर जाएं और उनके अनुयायियों को संदेश दें कि उन्हें रोज नहाना है (तेल स्नान) और महीने में एक बार भोजन खाना है। नदीं ने संदेश को रट लिया और चल पड़े धरती की और। रास्ते में जाते जाते वो भूल गए और वहां पर संदेश सुनाया कि महीने में एक बार (तेल) स्नान करना है और रोज भोजन करना है। भगवान शिव इससे बहु गुस्सा हुए और नंदी को हुक्म सुनाया कि वो धरती पर जाकर किसानों की फसल को बोने में मदद करो ताकि वो रोज खाने के जितने दाने उगा सकें।
सूर्य और शनि देव कथा
हिंदू मान्यता के मुताबिक इस दौरान सूर्य शनि देव के घर जाते हैं। हालांकि दोनो में पिता पुत्र का रिश्ता है, लेकिन दोनो में मतभेद हैं। क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं इसलिए सूर्य को शनि देव के घर जाकर एक महीना रहना होता है। इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
मंदार पर्वत पर असुरों का खात्मा
माना जाता है कि जब असुरों ने बहुत परेशानियां शुरू कर दीं तो भगवान विष्मु ने असुरों के साथ युद्ध किया और सबका अंत करके उनके सिर मंदार पर्वत में दबा दिये। मकर संक्रांति का दिन बुराइयों को खत्म करने वाला भी माना जाता है।
गंगा जी का धरती पर आना
गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था और उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।
मकर संक्रांति खिचड़ी
कहा जाता है कि जब खिलजी ने आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उन का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जुझते-जुझते वह इतना थक जाते की उन्हें भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता और वह दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे। अपने योगियों की कमजोरी को दूर करने लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एकत्र कर पकाने को कहा। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। सभी योगीयों को यह नया भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा। इससे उनके शरीर में उर्जा का संचार हुआ। आज भी मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है।