मीन संक्रांति’ हिन्दूओं का एक प्रमुख त्यौहार है, पूरे साल में 12 महीनों की तरह 12 संक्रांति होती है। मीन संक्रांति भी उन्हीं में से एक है। मीन संक्रांति को साल के आखिरी माह की संक्रांति के के रुप में मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार यह साल का अंतिम माह होता है। मीन संक्रांति सूर्य के मीन राशि में संक्रमण करने के अवसर पर मनाई जाती है। सूर्य प्रत्येक माह अपना स्थान परिवर्तित कर एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। वह जब जिस राशि में जाता है उसी दिन को उस माह की संक्रांति के रुप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मीन संक्रांति को ‘मीन संक्रमण’ के नाम से जाना जाता है। अन्य सभी संक्रांतियों की भांति ही इस संक्रांति पर भी दान करने का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भूमि का दान करने से जीवन में खुशहाली आती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। भारत के कुछ राज्यों जैसे कि पंजाब, केरल और तमिलनाडु में प्रत्येक माह के प्रारम्भ में मीन संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। जबकि आंध्र प्रदेश में प्रत्येक माह के उत्तरार्द्ध में यह पर्व मनाया जाता है।

मीन संक्रांति

मीन संक्रांति की पूजा विधि

मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस दिन वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सूर्य देव को नमस्कार करें और उनसे अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। इस दिन मंदिर जाकर भगवान् के दर्शन करें अथवा घर पर ही धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से भगवान् का पूजन करें। इसके पश्चात् ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें। इस दिन भूमि का दान करना विशेष रूप से शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन प्रायः सभी मंदिरों को फूलों से बड़ी ही सुंदरता से सजाया जाता है और दीप जलाये जाते हैं। इस दिन किये गए दान और पुण्य कर्मों से सभी जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। देश भर के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से ओडिशा में मीन संक्रांति का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

मीन संक्रांति का महत्व

मीन संक्रांति का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन को धार्मिक दृष्टि से ही पवित्र एवं शुभ नहीं माना जाता बल्कि व्यावहारिक रूप से भी उत्तम माना गया है। मीन संक्रांति से सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ रही होती है, उत्तरायण काल में सूर्य उत्तर की ओर उदय होता दिखता है और उसमें दिन का समय बढ़ता जाता है जिससे दिन बढ़े और रातें छोटी होती हैं और प्रकृति में नया जीवन शुरू हो जाता है। इस समय वातावरण और वायु भी स्वच्छ होती है, ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन-मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं। रातें छोटी होने के कारण नकारात्मक शक्तियों में भी कमी आती है और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है। इस पुण्य काल में दान स्नान आदि कार्य करने अति शुभ माना गया है। तीर्थ या धार्मिक स्थलों में स्नान करने के लिए पुण्य काल को लिया जा सकता है। मीन संक्राति का पर्व सूर्य की आराधना उपासना का पावन पर्व है, जो तन-मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।

मीन संक्रांति पर दान

मीन संक्रांति के विशिष्ट दिन पर विशेष चीजों को दान करना बहुत शुभ माना जाता है। अधिकांश लोग इस दिन को दिव्य आशीर्वाद को ग्रहण करना दिन मानते हैं। मीन संक्रांति का दिन दान पुण्य करने के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन दान का अत्यधिक महत्व है। इसलिए इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। मीन संक्रांति के दिन भूमि का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। मीन संक्रांति के दिन से मलमास का आरंभ होता है। इसलिए मलमास की अवधि में मांगलिक कार्य जैसे नामकरण, विद्या आरंभ, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने गए हैं। इसलिए इन शुभ कर्यों को नहीं करना चाहिए।

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